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________________ वंदन-अमिनंदन ! है। हमारे क्षेत्र में भी आपकी ही प्रेरणा से स्थानक भवन | वीतराग वाणी के महान् का शिलान्यास हुआ। हमारे संघ पर आपकी विशेष कृपा दृष्टि है। यह कृपा दृष्टि सदैव बनी रहेगी ऐसा हमारा व्याख्याता विश्वास है। वीतराग वाणी की अनुपम व्याख्या के द्वारा मोक्ष के आपकी दीक्षा-स्वर्ण-जयन्ति पर हमारा समस्त श्री मार्ग को प्रशस्त करने वाले महान संत पूज्यवर श्री सुमनमुनि संघ मैं/परिवार आपका हार्दिक अभिनन्दन करता है। श्री म. के दीक्षा-स्वर्ण-जयन्ति-अभिनन्दन समारोह पर मैं 0 मांगीलाल कोठारी, उनके प्रति अपने हृदय की श्रद्धा-भावना व्यक्त करता अध्यक्ष, एस.एस. जैन श्री संघ , आलन्दुर, चेन्नई हूँ। आप का मंगलमय जीवन हम सबके लिए प्रेरणादायी है। मैंने महाराज श्री के दर्शन १५ वर्ष पूर्ण पूणे के ( शत-शत अभिनन्दन ) साधना सदन में किये थे। मैंने सोचा था कि अ.भा. जैन श्रमणसंघ के मंत्री होने के नाते उनसे मिलना व वार्ता पूज्यवर्य श्रमणसंघ के वरिष्ठ मुनिराज मंत्री मुनि श्री करना कठिन होगा। लेकिन वे मुझे बड़ी सहजता से सुमनकुमार जी महाराज का वर्ष १६६६ का वर्षावास मिले, मुझे धैर्य पूर्वक सुना और उन्होंने मेरे श्रमणसंघ हमारे क्षेत्र में हुआ। यह चातुर्मास अभूतपूर्व सफलता विषयक किये गए सुझावों को पसंद किया। उसके बाद सहित सम्पन्न हुआ। कई बार उनके दर्शनों का सौभाग्य मुझे मिला और उनके गुरुदेव की प्रेरणा से वर्षावास में “प्राकृत भाषा जैन गम्भीर ज्ञान व सुलझे हुए विचारों से मैं हमेशा प्रभावित विद्वद् सम्मेलन" आयोजित किया गया। इसमें अनेक हुआ। भगवान् महावीर की देशना का वे बड़ी ही सरल गणयमान्य विद्वानों ने भाग लिया। यह एक विशेष उपलब्धि किन्तु प्रभावोत्पादक शैली में विवेचन करते हैं। वाला कार्यक्रम रहा। श्वेताम्बर स्थानकवासी जैन समाज की ओर से कर्नाटक में यह प्रथम आयोजन था। एतदर्थ __ आप श्रेष्ठ अध्यात्मोन्मुख उज्ज्वल चरित्र के धारक मैसूर श्री संघ की ओर से सब व्यवस्था हुई। हैं तथा अनुशासन प्रिय हैं। उनके हृदय में सरलता, गुरुदेव के वर्षावास की एक अन्य उपलब्धि रही- । सौम्यता व करुणा प्रवाहित है। आप दृढ़ धर्मी हैं तथा "भगवान महावीर प्राकृत भाषा जैन विद्यापीठ" की संस्थापना। समाज के कमजोर वर्ग को ऊंचा उठाने पर जोर देते हैं। आज भी यह विद्यापीठ सुचारु रूप से चल रही है। आप की धीरता, गम्भीरता, निडरता तथा परिश्रमशीलता इसकी कक्षाएं निरन्तर चलती हैं। सब को आकर्षित करती है। आप एक महान लेखक एवं मैसूर श्री संघ आपके इन उपकारों का हृदय से चिंतक हैं। ‘आत्म-सिद्धि शास्त्र' की 'शुक्ल प्रवचन' के आभारी है और आपकी दीक्षा-स्वर्ण-जयन्ति पर आपका चार भागों में व्याख्या करके आपने अध्यात्म जगत् में शत-शत अभिनन्दन करता है। महान् कार्य किया है। D देवराज बम्ब | मैंने आपसे सीखा है कि जब तक शरीर में चेतना, मंत्री. एस.एस. जैन श्री संघ मैसूर (कर्नाटका) | बल, वीर्य मौजूद है तब तक धर्म कार्यों में पुरुषार्थ पूर्वक ७६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012027
Book TitleSumanmuni Padmamaharshi Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadreshkumar Jain
PublisherSumanmuni Diksha Swarna Jayanti Samaroh Samiti Chennai
Publication Year1999
Total Pages690
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size24 MB
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