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________________ साध्वीरत्न पुष्पवती अभिनन्दन ग्रन्थ रहस्य है । श्री रतनमुनिजी " पर्व की प्रेरणा " कृति में मौन एकादशी के विषय में एक संवाद प्रस्तुत करते हैं - यथा - एक श्रेष्ठी ने पंचमहाव्रतधारी धर्मगुरु से जिज्ञासा की "भगवन ! मैं गृहकार्य में उलझा रहता हूँ । अस्तु धर्म साधना करने की शक्ति नहीं है । आप मुझे ऐसी साधना बताइए कि एक दिन की साधना से ही पूरे वर्ष की धर्म-साधना का पुण्य फल प्राप्त हो सके ।" गुरु ने कहा- "श्रेष्ठीवर ! मार्गशीर्ष मास की शुक्ला एकादशी के दिन उपवासपूर्वक पौषध व्रत धारण करने और मौन रहने से तुम्हें इच्छित फल प्राप्त हो सकता है । इस दिन भगवान मल्लिनाथ का जन्म कल्याणक है । यदि ग्यारह वर्ष तक विधिपूर्वक साधना करते रहे तो मोक्ष की प्राप्ति भी सम्भव है ।" उपर्युक्त संक्षिप्त विवेचन से स्पष्ट है कि भारतीय पर्व - परम्परा में जैन पर्वों का अपना अस्तित्व है और है अपना महत्व । इन पर्वों का मूल विषय जिन-धर्म, संस्कृति तथा सदाचार का प्रवर्तन करना रहा है । इसलिए इनके आयोजनों में आमोद-प्रमोद के साथ-ही-साथ कल्याणकारी ज्ञानवर्द्धक प्रसंग और सन्दर्भों का अपना स्थायी महत्व है । मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है । समाज में ही उसका जीवन उल्लास और विकास से भर सकता है। पर्व अथवा त्यौहार समाज सापेक्ष होते हैं । इस प्रकार पर्व मानवी जीवन में जहाँ एक ओर सत्य धर्म का स्रोत प्रवाहित करते हैं वहाँ दूसरी ओर वे जीवन में चेतना और जागरण का संचार भी करते हैं। सामान्यतः संसारी प्राणी लोभ और प्रमादपूर्ण जीवन चर्या में लीन हो जाता है किन्तु पर्वों के शुभ आगमन से प्राणी को उन्मार्ग से हटकर सन्मार्ग पर चलने की प्रेरणा प्राप्त होती है । मनुष्य के पुरुषार्थ की सार्थकता है उत्तरोत्तर उत्कर्षोन्मुख होते जाना । पर्व उसके उत्कर्ष में कार्यकारी भूमिका का निर्वाह करते हैं । पुराण अथवा प्राचीन वाङमय में अन्तर्भुक्त घटनाओं और जीवन चक्रों से अनुजीवी पर्वों के प्रयोजन मनुष्य में मूर्च्छा-मुक्त जीवन जीने की प्रेरणा प्रदान करते हैं । यदि पर्वों के द्वारा मनुष्य में मनुष्यता जागने लगे तो इससे अधिक उपयोगिता और क्या हो सकती है ? २१० | पंचम खण्ड : सांस्कृतिक-सम्पदा 新口 www.jainel
SR No.012024
Book TitleSadhviratna Pushpvati Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDineshmuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1997
Total Pages716
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size25 MB
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