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________________ R साध्वीरत्न पुष्पवती अभिनन्दन ग्रन्थ अन्य मतावलम्बियों द्वारा गाली एवं पत्थर आदि से चोट, जिसे बुद्ध एवं महावीर अपने अलौकिक प्रभाव से ग्रहण करते थे। दोनों को एक मानव की तरह कष्ट की अनुभूति होती थी । बुद्ध एवं क समय एवं एक स्थानों में रहते हुए भी साक्षात मिले हों ऐसा कोई सन्दर्भ नहीं मिलता। लेकिन उनके शिष्य एक दूसरे से मिलते थे एवं वाद-विवाद होता था। भगवान् बुद्ध के बहुत से शिष्य निगण्ठों के अनुयायी हो गए थे एवं कई निगंठों के शिष्य बुद्ध के अनुयायी हो गए थे। भगवान् महावीर एवं बुद्ध दोनों ने अपने वचनों को पूर्व तीर्थंकरों एवं बुद्धों के द्वारा कथित बतलाया है लेकिन बुद्धों की पूर्व परम्परा का अभी तक कोई साक्ष्य नहीं मिला है जबकि पूर्व तीर्थकर ऋषभदेव एवं पार्श्वनाथ की परम्परा के विभिन्न साक्ष्य मिलते हैं। स्वयं बौद्ध अनुयायी पूर्व बुद्धों की कोई पूजा या उत्सव नहीं मनाते हैं जबकि जैन परम्परा में पूर्व तीर्थंकरों की प्रतिमाएँ एवं उनके उत्सव आदि भगवान् महावीर के अनुरूप ही मनाये जाते हैं। भगवान बुद्ध के आविर्भाव के पूर्व निगण्ठों की परम्परा विद्यमान थी। भगवान् बुद्ध ने बुद्धत्व प्राप्ति के पूर्व जो उपवास, ध्यान, मौन एवं कायोत्सर्ग किया था एवं केशलोंच आदि किए थे वे निगण्ठों (जैनों) के अनुरूप थी। लेकिन तथागत बुद्ध ने उनको निःसार जानकर त्याग दिया एवं मध्यम मार्ग का प्रतिपादन किया। ___ तथागत बुद्ध ने और भी कई शिक्षाओं में निगण्ठों का अनुकरण किया; जैसे-वर्षावास के नियम प्रतिपादन में, तृणघास आदि के बचाव में, भिक्षुणियों के संघ प्रवेश में । बुद्ध ने प्रव्रज्या के सम्बन्ध में यह नियम बाद में बनाया कि प्रव्रज्या के पूर्व माँ-बाप की आज्ञा अनिवार्य है। वह भी उनके पिता शुद्धोदन ने निवेदन किया कि प्रव्रज्या के पूर्व माँ-बाप की आज्ञा होनी चाहिए क्योंकि माँ-बाप को कष्ट होता है। भगवान् महावीर ने यह बात उसी समय सोच ली थी जब वे गर्भ में थे; क्योंकि उनको माँ के दर्द की अनुभूति हो गई थी। ___ इस प्रकार हम देखते हैं कि तीर्थंकरों एवं बुद्धों की मान्यताओं में काफी समानता है। भगवान् महावीर एवं बुद्ध की परिस्थितियों एवं जीवन में भी समानता है जिसका हमने संक्षिप्त परिचय दिया है। इसमें अभी विस्तृत अध्ययन की आवश्यकता है जिसका अध्ययन हम अपनी योजना के अन्तर्गत कर 00 सन्दर्भ ग्रन्थ सूची 1. वर्धमान कोष, सम्पादक, मोहनलाल बाठिया एवं श्रीचन्द जैन; दर्शन समिति, कलकत्ता, 1980 । 2. तीर्थकर वर्धमान महावीर, पं० पद्मचन्द्र शास्त्री, श्री वीर निर्वाण ग्रन्थ प्रकाशन समिति, इन्दौर, 1974 । 3. जैनेन्द्र सिद्धान्तकोश, भारतीय ज्ञानपीठ, काशी। 4. निदानकथा, सम्पादक महेश तिवारी, चौखम्बा संस्कृत सीरीज, वाराणसी, 1970 । . आल इण्डिया ओरियण्टल कान्फस, 33वां अधिवेशन, कलकत्ता में पढ़ा गया लेख। भगवान महावीर एवं बुद्ध : एक तुलनात्मक अध्ययन : डॉ. विजयकुमार जैन | १४६ CATE www.ia - --
SR No.012024
Book TitleSadhviratna Pushpvati Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDineshmuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1997
Total Pages716
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size25 MB
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