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________________ ● साध्वीरत्न पुष्पवती अभिनन्दन ग्रन्थ प्राचीन मालवा के जैन सन्त और उन की रचना एँ डा. तेजसिंह गौड़ मालवा भारतीय इतिहास में अपना विशिष्ट स्थान रखता है । साहित्य के क्षेत्र में भी यह प्रदेश पिछड़ा हुआ नहीं रहा है । कालिदास जैसे कवि इस भूखण्ड की ही देन हैं । यद्यपि संतों को किसी क्षेत्र विशेष से बाँधा नहीं जा सकता और फिर जैन सन्तों का तो सतत विहार होता रहता है । इसलिये उनको किसी सीमा में रखना सम्भव नहीं होता है। उनका क्षेत्र तो न केवल भारत वरन् समस्त विश्व ही होता है । फिर भी जिन जैन सन्तों का मालवा से विशेष सम्पर्क रहा है, जिनका कार्यक्षेत्र मालवा रहा है और जिन्होंने मालवा में रहते हुए साहित्य सृजन किया है, उनका तथा उनके साहित्य का संक्षिप्त परिचय देने का यहाँ प्रयास किया जा रहा है । (१) आचार्य भद्रबाहु - आचार्य भद्रबाहु के सम्बन्ध में अधिकांश व्यक्तियों को जानकारी है । ये भगवान् महावीर के पश्चात् छठवें देर माने जाते हैं । इनके ग्रन्थ 'दसाउ' और 'दस निज्जुति' के अतिरिक्त 'कल्पसूत्र' का जैन साहित्य में बहुत महत्त्व है ?" (२) क्षपणक - ये विक्रमादित्य के नवरत्नों में से एक थे । इनके रचे हुए न्यायावतार, दर्शनशुद्धि, सम्मतितर्क सूत्र और प्रमेयरत्नकोष नामक चार ग्रन्थ प्रसिद्ध हैं । इनमें न्यायावतार ग्रन्थ अपूर्व है । यह अत्यन्त लघु ग्रन्थ है, किन्तु इसे देखकर गागर में सागर भरने की कहावत याद आ जाती है, बत्तीस श्लोकों में इस काव्य में क्षपणक ने सारा जैन न्यायशास्त्र भर दिया है। न्यायावतार पर चन्द्रप्रभ पूरि ने न्यायावतारनिवृत्ति नामक विशद टीका लिखी है । (३) श्री आर्यरक्षित सूरि- नंदीसूत्रवृत्ति से यह प्रतीत होता है कि वीर निर्वाण संवत ५८४ ई० सन् ५७ में दशपुर में आर्यरक्षित सूरि नामक एक सुप्रसिद्ध जैनाचार्य हो गये हैं; जो अपने समय के उद्भट विद्वान, सकलशास्त्र पारंगत एवं आध्यात्मिक तत्त्ववेत्ता थे। यही नहीं, यहाँ तक इनके सम्बन्ध में उल्लेख किया गया है कि ये इतने विद्वान् थे कि अन्य कई गणों के ज्ञान-पिपासु जैन साधु आपके शिष्य 1. संस्कृति केन्द्र उज्जयिनी, पृ० 112-114 १३८ ! चतुर्थ खण्ड : जैन दर्शन, इतिहास और साहित्य www.jainelibr
SR No.012024
Book TitleSadhviratna Pushpvati Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDineshmuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1997
Total Pages716
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size25 MB
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