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________________ साध्वीरत्न पुष्पवती अभिनन्दन ग्रन्थ .......... .. . ... m a n ..........: ३६. (क) उत्तराध्ययन सूत्र, ३०/१०-११ ३६. (क) स्थानाङ्ग सूत्र, ३/३८१ (ख) जैनधर्म में तप : स्वरूप और विश्लेषण (ख) उत्तराध्ययन सूत्र, ३०/१४-२४ लेखक मुनिश्री मिश्रीमलजी महाराज, पृ० १८१-१६६ (ग) ओमोयरिया दुविहा-दब्वमोयरिया य भावमोय रिया। (ग) उत्तराध्ययन बृहद्वृत्ति पत्र ६०१ -भगवती सूत्र ३७. (क) संजम प्रजागर दोष प्रशम-संतोष स्वाध्यायादि ३०. (क) राजवात्तिक, ९/१६/१,१६ सुखसिद्ध्यर्थमवमौदर्यम् । (ख) यस्यसकलकालमेव सकल पुद्गलाहरण शून्य -सर्वार्थसिद्धि, ६/१६/४३८/७ मात्मानमवबुध्यमानस्य...."बलीयस्त्वात् । (ख) धम्मावासयजोगे णाणादीये उवग्गहं कुणदि । --प्रवचनसार-तत्त्व प्रकाशिका, २२७ ण य इंदियप्पदोसयरी उमोदरितवोवत्तो ।। (ग) उत्तराध्ययन सूत्र, २६/३५ -मूलाचार, ३५१ (घ) जैनदर्शन : स्वरूप और विश्लेषण ३८. कालं क्षेत्र मात्रां स्वात्मयं द्रव्य-गुरु लाघवं स्वबलम् । - ज्ञात्वा योऽभ्यवहार्य भुङक्त कि भेषजस्तस्य ।। -लेखक-देवेन्द्रमुनि शास्त्री, पृष्ठ २११ -प्रशमरति प्रकरण, १३७ (ङ) दृष्टफलानपेक्ष संयमसिद्धि-रागच्छेदकर्म ३६. तत्त्वार्थसूत्र, ६/१६ विनाशध्यानागमावाप्त्यर्थमनशनम् । ४०. समवायांग, सम०६ -सर्वार्थसिद्धि, ६/१९ ४१. (क) स्थानाङ्ग सूत्र, ३/३/१८२ (च) चारित्रसार, १३४/४ (ख) भगवती सूत्र, २५/७/११५ (छ) स्वार्थादुपेत्य शुद्धात्मन्यक्षाणां वसनाल्लयात् । (ग) उत्तराध्ययन सूत्र, ३०/३५ -अनगारधर्मामृत, ७/१२ (घ) औपपातिक ३० ३१. (क) किमट्ठमेसो कीरदे ? पाणिदियसंजमझें, ४२. (क) उत्तराध्ययन सूत्र, २४/११-१२ भुत्तीए उह्यासंजम अविणाभाव दसणादो। (ख) पिण्डनियुक्ति, ६२-६३ -धवला, १३/५,४,२६ (ग) धर्म, दर्शन : मनन और मूल्यांकन . -लेखक-देवेन्द्रमुनि शास्त्री (ख) इति यः षोडशायामानगमयति परिमूक्त सकल अध्याय क्रियात्मक धर्म/दर्शन, पृष्ठ ३५ सावध..."महावृतित्वमुपचारात् । (घ) भायेण-भायण-धर-वाऽ-दादारा वृत्तीणाम |... -पुरुषार्थ सिद्ध युपाय, १५७, १५८, १६० ..सो वृत्तिपरिसंखाणं णाम तपो त्ति भणिद ३२. योगत्रयेण तृप्तिकारिण्यां भुजिक्रियायां दर्पवाहिन्यां होदि। -धवला, १३/५,४,२६ निराकृतिः अवमौदर्यम् । (ङ) एकादिगह पमाणं किच्चा संकप्प कप्पिय विरसं । -भगवती आराधना, वि०, ६/३२/१७ भोज्ज पसुव्व भुजदि वित्ति पमाणं तवो तस्स।। ३३. (क) समवायांग, ६ --कार्तिकेयानुप्रेक्षा, ४४५ (च) एकवस्तु दशागार-पान मुद्गादि गोचरः । (ख) भगवती सूत्र, २५/७ संकल्प क्रियते यत्र वृत्ति परिसंख्याहि तत्तपः ।। (ग) उत्तराध्ययन सूत्र, ३०/८ -तत्त्वार्थसार, ७/१२ ३४. (क) तत्वार्थ सूत्र, ६/१६ (छ) गोयर पमाण दायग भायण णाणाविधाण (ख) उत्तराध्ययन सूत्र, ३०१४-२३ जं गहणं ३५. (क) औपपातिक सूत्र, ३० तह एसणस्स गहणं विविधस्सवृत्तिपरिसंखा ॥ (ख) भगवती सूत्र, २५/७ -मूलाचार, गाथा, ३५५ तपःसाधना और आज की जीवन्त समस्याओं के समाधान : राजीव प्रचंडिया | १०३ ::: inhiriLINE.COM HiithiiiiiiiiH www.jain
SR No.012024
Book TitleSadhviratna Pushpvati Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDineshmuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1997
Total Pages716
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size25 MB
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