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________________ FA सावारत्न पुष्पवता आभनन्दन ग्रन्थ లించిందించిందించిందంతా చండాలంంంంంంంంంంంంంంంంంంంంబరం महासती प्रभावतीजी महाराज द्वारा प्रणीत साहित्य और उसका शास्त्रीय मूल्यांकन -डॉ. महेन्द्रसागर प्रचंडिया (विद्यावारिधि साहित्यलंकार -एम. ए., पी.एच. डी., डी. लिट.) విశా EERGG26968edecorado00 0 00000000000000 महासती पुष्पवती जी संस्कृत की भांति हिन्दी काव्य रचना में भी समान गतिशील है, समय-समय उपदेशप्रधान भजन, स्तवन एवं कविताएँ लिखती रहती हैं, किन्तु उनका संकलन-संपादन अब तक नहीं किया जा सका । दूसरी बात, आपको स्वतन्त्र काव्य रचना में इतनी रुचि ही नहीं है। फिर भी आपने पूज्य माताजी श्री प्रभावती जी म. द्वारा रचित चरित काव्यों का कुशलतापूर्वक संपादन और नवसंस्करण किया है जिसमें पद-पद पर आपके श्रम व काव्य चातुर्य का संदर्शन होता है । वे काव्य प्रकाशित हो चुके हैं। किसी विद्वान ने लिखा है, तथा यह अनुभव सिद्ध भी है कि-"लेखन से भी संपादन करना अधिक कठिन है। कभी-कभी तो संपादक को मूल रचना में इतना संशोधन-संस्कार करना पड़ता है कि उसका नव काया-कल्प ही हो जाता है। अतः लेखक से भी अधिक वैशिष्टय सपादक का है। संपादक की कुशलता रचना में नव प्राण-संचार कर देती है । इस दृष्टि से महास तीजी द्वारा संपादित साहित्य का सुजनधर्मी दृष्टि से एक स्वतन्त्र वैशिष्ट्य है । प्रकाशित काव्य रचनाओं पर प्रसिद्ध साहित्य मनीषी डा० प्रचण्डिया की विद्वत्तापूर्ण समीक्षा यहां मननीय है। -सम्पादक महासती साध्वी प्रभावती जी महाराज द्वारा प्रणीत साहित्य और उसका पास्त्रीय मूल्यांकन | २४१ WOMAMPIRE . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .-RAMPURNIArrivariri. in
SR No.012024
Book TitleSadhviratna Pushpvati Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDineshmuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1997
Total Pages716
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size25 MB
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