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________________ साध्वीरत्न पुष्पवती अभिनन्दन ग्रन्थ इतिहास के स्वर्ण पृष्ठों पर चमक रहे हैं । वैदिक परम्परा में गार्गी ने याज्ञवल्क्य जैसे महामनीषी को शास्त्रार्थ में पराजित किया था जिसे देखकर राजा जनक भी चकित थे । जैन इतिहास में जयन्ती जैसी तर्कशीला नारी ने श्रमण भगवान महावीर के सामने अनेक जज्ञासाएँ प्रस्तुत की ओर भगवान महावीर ने समाधान दिये। जब हम उसे पढ़ते हैं तो लगता है कि नारी में सहज बौद्धिकता है । उसने तप और त्याग के क्षेत्र में जो कीर्तिमान स्थापित किया है वह पुरुषों के लिए भी चुनौती है । जब हम अन्तगढ़दशांगसूत्र में काली, महाकाली श्रमणियों के तप का जीता जागता वर्णन पढ़ते हैं तो श्रद्धा से सिर नत हो जाता है । राजस्थान की वीर नारी तो इतिहास का श्रृंगार है, अपनी शील की रक्षा के लिए अपने राष्ट्र देश व कुल परम्परा की रक्षा के लिए उन्होंने जो बलिदान दिया है उससे राजस्थान का इतिहास आलोकित है । झांसी की रानी ने रणक्षेत्र में तलवार का जो चमत्कार दिखाया क्या कभी उसे विस्मृत किया जा सकेगा। रानी दुर्गावती और पद्मिनी ने अपनी शील की रक्षा के लिए जो कदम उठाया क्या अन्य देश की नारियाँ इस प्रकार कदम उठाने में सक्षम रही है ? कभी नहीं, सीता, सावित्री, दमयन्ती ब्राह्मी और सुन्दरी ऐसी तेजस्वी नारियाँ रही हैं जिन पर भारत को गर्व है । पर आज नारी की जो अवमानना हो रही है हर, विज्ञापन में नारी का जो भोण्डा चित्र प्रस्तुत किया जा रहा है वह दर्दनाक और शर्मनाक है। नारी नारायणी है। नर में दोनों अक्षर ह्रस्व है जबकि नारी में दोनों ही अक्षर दीर्घ हैं । नारी चाहे तो संसार में स्वर्ग उतार सकती है । उसे तप और त्याग का ज्वलंत आदर्श उपस्थित करना चाहिए उसी में उसकी गरिमा रही हुई है । साहित्य और कला प्रस्तुत करते हुए आपने कहा- मानवीय संस्कृति के लिए साहित्य और कला वरदान है । साहित्य और कला का परस्पर घनिष्ठ सम्बन्ध है | साहित्य और कला ऐसी सुन्दर सरस सरिताएँ हैं जो मानव मानस की भूमि को सरसब्ज बनाती हैं । अतीतकाल से ही मानव जीवन का साहित्य के साथ घनिष्ठ सम्बन्ध रहा है । इटली के महान चिन्तक सिसरो ने एक स्थान पर लिखा है कि साहित्य का अध्ययन युवकों में चिन्तन उद्बुद्ध करता है, वृद्धों का मनोरंजन करता है । तो विभिन्न व्यक्तियों को धैर्य प्रदान करता है, घर के वातावरण को विशुद्ध बनाता है । और सभी मानवों में नम्रता का संचार करता है, इसलिये प्रतिपल - प्रतिक्षण साहित्य रूपी सुमन का सतत सिंचन करना के चाहिए । अनन्त गोपाल शेवडे जो आधुनिक युग प्रसिद्ध साहित्यकार हैं उनका मन्तव्य है कि राजनीति क्षणभंगुर है किन्तु साहित्य चिरस्थायी है । साहित्य के आधारभूत मूल्यों की कभी क्षति नहीं होती । जर्मन के महान चिन्तक गेटे ने अपने विचार अभिव्यक्त करते हुए एक बार कहा था कि साहित्य का पतन राष्ट्र के पतन को द्योतित करता है वे पतन की ओर एक-दूसरे के परस्पर सहयोगी व पूरक है इसीलिए साहित्य को सदा नैतिकता की के जनमानस का प्रतिबिम्ब उजागर होता है । ओर अग्रसर रहना चाहिए क्योंकि साहित्य में वहाँ मेरी दृष्टि से साहित्य की सरिता अपने लक्ष्य की ओर बढ़े उसे किसी भाषा विशेष के संकीर्ण घेरे में आबद्ध न किया जाए। साहित्य वही सच्चा साहित्य है जो हमारी सुरुचि को जागृत करे। आध्यात्मिक और मानसिक तृप्ति प्रदान करे, हमें वह गति और शक्ति दे जिससे हम सच्चे और अच्छे इन्सान बन सकें, हमारे विचार स्वच्छ और निर्मल हो सके । साहित्य में समाज का यथार्थ प्रतिबिम्ब हो जो प्रतिबिम्ब समाज समता, समन्वय समुत्पन्न करे इस प्रकार का साहित्य ही समाज में वरदान रूप 1 एक बार साहित्य संगोष्ठि में अपने विचार होता २३६ | तृतीय खण्ड : कृतित्व दर्शन www.jan
SR No.012024
Book TitleSadhviratna Pushpvati Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDineshmuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1997
Total Pages716
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size25 MB
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