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________________ साध्वारत्न पुष्पवता अभिनन्दन ग्रन्थ आपश्री के स्वयं के प्रवचनों का एक श्रेष्ठ संग्रह 'पुष्प - पराग' नाम से प्रकाशित हुआ है तथा माताश्री प्रभावतीजी म० के प्रवचन संग्रह 'प्रभा - प्रवचन' का भी श्रेष्ठतम सम्पादन आपने किया है । कथा, उपन्यास शैली में भी आपने ४-५ उपन्यास लिखे हैं जिनकी अपनी विशिष्टता है । सौश्यता है । इनकी अपनी शैली है और एक नया मार्ग-दर्शन भी है । प्राचीन चरित्रों में आधुनिक जीवन की संगति व सामंजस्य रखते हुए उन्हें जीवनस्पर्शी बनाया है जिसकी चर्चा भी प्रस्तुत में करेंगे । इसके अतिरिक्त, निबन्ध, संस्मरण, चिन्तन सूत्र आदि विधा में भी आपकी लेखनी गतिशील रही है । भले ही परिमाण में अल्प लिखा है, परन्तु परिणाम की दृष्टि से बहुत ही श्रेष्ठ लिखा है । यहाँ हम क्रमशः सभी विषयों पर संक्षेप में चर्चा प्रस्तुत कर रहे हैं । अध्यापन कला महासती पुष्पवतीजी ने जहाँ गुरुचरणों में बैठकर अध्ययन किया है । वहाँ आपमें अध्यापन कराने की कला भी प्रभावक है । आप जहाँ वर्षावास करती हैं या लम्बे समय तक विराजती हैं। वहां पर महिलाओं में व कन्याओं में धार्मिक संस्कारों के बीज वपन करती हैं । उन्हें धार्मिक अध्ययन कराती हैं । सैकड़ों बालिकाओं को आपने धार्मिक अध्ययन करवाया और उन्हें धार्मिक परीक्षाएँ भी दिलवाईं । तथा महासती चन्द्रावतीजी, प्रियदर्शनाजी, किरणप्रभाजी, रत्नज्योतिजी, सुप्रभाजी आदि सतियों को तथा सन्तों में देवेन्द्र मुनि, दिनेश मुनि आदि को हिन्दी साहित्य का अध्ययन करवाया और साहित्य मध्यमा, और साहित्यरत्न तथा साध्वियों को जैन सिद्धान्ताचार्य तक अध्ययन करवाया । व्याकरण और दार्शनिक ग्रन्थों का भी अध्ययन करवाया । निबन्ध साहित्य अध्ययन के साथ अध्यापन जैसे आपको पसन्द है वैसे ही लेखन कला भी आपको प्रिय रही है । निबंध गद्य की कसौटी है । अनुभूति की सशक्त अभिव्यक्ति निबंध में होती है । इसलिए निबंध को गद्य की कसौटी माना है । लेखक का पूर्ण व्यक्तित्व निबंध में निखरता है । निबंध के भावात्मक और विचारात्मक ये दो प्रकार हैं । भावात्मक निबंध में लेखक किसी वस्तु का विवेचन अपनी बुद्धि और तर्क शक्ति से नहीं करता । अपितु हृदय की भावनाओं को सरस अनुभूतियों के रंग में रंग कर इस प्रकार प्रस्तुत करता है कि पढ़तेपढ़ते प्रबुद्ध पाठकों के हृदयतंत्री के तार झनझना उठते हैं । विचारात्मक निबंधों में चिन्तन, विवेचन और तर्क की प्रधानता होती है । विचारात्मक निबंधों में लेखक के व्यक्तिगत दृष्टिकोण से किसी एक वस्तु की तर्कपूर्ण और चिन्तनशील अनुभूति की गहन अभिव्यक्ति है । यहाँ पर यह भी स्मरण रखना होगा कि सामान्य लेख और निबन्ध में पर्याप्त अन्तर है । सामान्य लेख में लेखक का व्यक्तित्व प्रच्छन्न रहता है । जबकि निबंध में लेखक का व्यक्तित्व ऊपर उभरकर आता है । संस्कृत में निबंध का अर्थ है - बांधना। निबंध वह है, जिसमें विशेष रूप से बन्ध या संगठन हो । जिसमें विविध प्रकार के विचारों, मतों, व्याख्याओं का सम्मिश्रण हो या गुम्फन हो । आधुनिक युग में २०६ | तृतीय खण्ड : कृतित्त्व दर्शन www.jainelior
SR No.012024
Book TitleSadhviratna Pushpvati Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDineshmuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1997
Total Pages716
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size25 MB
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