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________________ क्रमांक क्या २. 3. ३. ४. ५. ६. ७. श्री विजयानंद सूरि स्वर्गारोहण शताब्दी ग्रन्थ खण्ड - १ ज्ञानांजलि जैन धर्म का स्वरूप विनय के प्रकार अनित्य भावना पावागढ़ तीर्थ की ऐतिहासिकता माणुस खु· सुदुल्ल ज्ञान भंडारों पर एक दृष्टिपात एक लाख परमारों का उद्धारः बीसवीं सदी का एक ऐतिहासिक कार्य जैन संमत व्याप्ति ८. ९. निर्युक्ति साहित्य : एक पुनर्चिन्तन १०. प्राकृत- साहित्य में उपलब्ध जैन न्याय के बीज ११. भारत के सांस्कृतिक अभ्युदय में प्राकृत का योगदान १२. व्यक्तित्व के समग्र विकास की दिशा में जैन शिक्षा प्रणाली की उपयोगिता १३. हर्षपुरीयगच्छ अपरनाम मलधारी गच्छ का संक्षिप्त इतिहास し १४. जिनप्रतिमा और जैनाचार्य १५. जैन दर्शन और केवलज्ञान १६. धर्मांयतन, आवसा तथा कारोबार : एक सुख समृद्धि कारक तंत्र Jain Education International किसका आचार्य श्री विजयानंद सूरिजी आचार्य श्री विजयवल्लभ सूरिजी आचार्य श्री विजय इन्द्रदिन्न सूरिजी आचार्य श्री जगच्चन्द्र सूरिजी आचार्य श्री चन्दनमुनि जी आगम प्रभाकर मुनि श्री पुण्य विजयजी मुनि श्री नवीन चन्द्र विजय जी श्री दलसुख मालवणिया प्रो. सागरमल जैन डॉ. धर्मचन्द जैन डॉ. जयकिशन प्रसाद खण्डेलवाल श्रीचन्द सुराना श्री शिव प्रसाद पं. श्री हंसराज जी शास्त्री श्री मूलचंद चन्दूलाल बेड़ावाले डॉ. सोहनलाल देवोत For Private & Personal Use Only कहां १ १५ ३१ ४५ ५० ६० ७७ ८५ ८९ १२४ १३४ १४० १५९ १८३ १९२ २०२ www.jainelibrary.org
SR No.012023
Book TitleVijyanandsuri Swargarohan Shatabdi Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNavinchandra Vijaymuni, Ramanlal C Shah, Shripal Jain
PublisherVijayanand Suri Sahitya Prakashan Foundation Pavagadh
Publication Year
Total Pages930
LanguageHindi, English, Gujarati
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size22 MB
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