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________________ आते और डराकर, धमकाकर मारकर जो कुछ हाथ लगता लेकर चंपत हो जाते। एक बार लहरा गाँव में आठ दस लुटेरे आ पहुंचे । पूरे गाँव में भगदड़ मच गई । दित्ता की माता को भी यह समाचार मिला। वह घबड़ा गई। गणेशचन्द्र कहीं बाहर गए थे। घर में दो ही प्राणी थे। दित्ता और उसकी माँ रूपादेवी । दित्ता अभी किशोर था। अकेली अबला क्या कर सकती थी। घर में विशेष सम्पत्ति नहीं थी। फिर भी जो थी उसीसे जीवन चलता था । रूपादेवी को भयभीत देखकर किशोर दित्ता ने पूछा माँ तू इतनी डर क्यों रही है। माँ ने दित्ता को छाती से लगाते हुए कहा बेटा गाँव में लुटेरे आए हैं। दित्ता :- वे लुटेरे हमारा क्या कर सकते है । हमने तो उनका कुछ बिगाड़ा नहीं है। माँ :- लुटेरों का काम लूटना है, वे मारते हैं बच्चों को भी नहीं छोड़ते औरतों को भी लूटते हैं इतना कहते कहते रूपादेवी की आँखों में आँसू निकल आए। इतना सुनकर दित्ता खड़ा हो गया। एक कोने में पिता की तलवार पड़ी हुई थी। उसने दौड़कर तलवार उठा ली और तलवार को मुट्ठी में पकड़कर बोला:- माँ तू घबड़ा मत इस तलवार से मैं अपने घर की रक्षा करूँगा। और वह नंगी तलवार लिए दरवाजे पर खड़ा हो गया। इतने में भागे हुए लोग गाँव में आने लगे। समाचार मिला कि लुटेरे भाग गए हैं। रूपादेवी ने सन्तोष की सांस ली। दित्ता अभी भी तलवार लिए दरवाजे पर खड़ा था। माँ ने हर्षातिरेक से दित्ते को गले से लगा लिया। - यही दित्ता भविष्य में महान जैनाचार्य विजयानंद सूरि म. बना। दूध और माँस में अन्तर एक ईसाई द्वेषी ने आकर आचार्य श्री विजयानंद सूरि जी म. से कहा :- तुम अपने को अहिंसावादी कहते हो पर तुम लोग प्रतिदिन माँस खाते हो। आचार्य श्री ने शान्ति और स्वस्थता के साथ पूछा :- तुम किस दृष्टि से हमें माँसाहारी कहते हो। ईसाई :- तुम गाय का दूध पीते हो या नहीं? आचार्य श्री :- पीते हैं। ईसाई :- गाय के दूध में और गाय के माँस में कोई अन्तर नहीं है। क्योंकि गाय के खून से श्री विजयानंद सूरि: जीवन प्रसंग ३१३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012023
Book TitleVijyanandsuri Swargarohan Shatabdi Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNavinchandra Vijaymuni, Ramanlal C Shah, Shripal Jain
PublisherVijayanand Suri Sahitya Prakashan Foundation Pavagadh
Publication Year
Total Pages930
LanguageHindi, English, Gujarati
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size22 MB
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