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________________ १८ १९ १९२५ १९२६ १९२७ १९२८ १९२९ १९३० १९३१ १९३२ २६ १९३३ १८६८ बड़ौत चातुर्मास । १८६९ मालेरकोटला चातुर्मास। १८७० बिनौली, चातुर्मास आत्मबावनी की रचना, मंदिर बनाने की प्रेरणा की। १८७१ लुधियाना, चातुर्मास पंद्रह साधु और सात हजार श्रावकों को अपने विचारों का बना दिया। १८७२ जीरा चातुर्मास । १८७३ अंबाला, चातुर्मास जिन चौबीसी की रचना की। १८७४ होशियारपुर, चातुर्मास तीर्थ यात्रा करने का निर्णय, सुनाम से हांसी आते हुए मुंहपत्ति का त्याग। १८७५ अहमदाबाद चातुर्मास पंद्रह साधुओं के साथ श्री बुटेरायजी से संवेगी दीक्षा ली, नाम आनंद विजय। १८७६ भावनगर, चातुर्मास शत्रुजय की यात्रा की । दादा आदिनाथ के आगे रोते हुए अपनी व्यथा, 'अब तो पार भए हम' पद में व्यक्त की। १८७७ जोधपुर चातुर्मास । १८७८ लुधियाना चातुर्मास । १८७९ जंडियाला चातुर्मास । १८८० गुजरांवाला चातुर्मास 'नवतत्त्व' लिखा, जैन तत्त्वादर्श का लेखन प्रारंभ। होशियारपुर चातुर्मास। १८८२ अंबाला, चातुर्मास जैन तत्त्वादर्श का प्रकाशन, सत्तरभेदी पूजा की रचना। १८८३ बीकानेर, चातुर्मास बीस स्थानक पूजा की रचना, बीकानेर महाराजा ने प्रवचन सुना, जोधपुर में दयानंद सरस्वती से शास्त्रार्थ करने का निमंत्रण, दयानंद का स्वर्गवास, जोधपुर की जनता ने 'न्यायाम्भोनिधि' पद से विभूषित किया। १८८४ ।। अहमदाबाद, चातुर्मास सम्यक्त्व शल्योद्धार लिखा, शान्तिसागरजी से शास्त्रार्थ । २७ १९३४ १९३५ १९३६ १९३७ १८८१ १९३८ १९३९ ३३ १९४० ३४ १९४१ श्रीमद् विजयानंद सूरिः जीवन और कार्य ३०१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012023
Book TitleVijyanandsuri Swargarohan Shatabdi Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNavinchandra Vijaymuni, Ramanlal C Shah, Shripal Jain
PublisherVijayanand Suri Sahitya Prakashan Foundation Pavagadh
Publication Year
Total Pages930
LanguageHindi, English, Gujarati
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size22 MB
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