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________________ नरेन्द्रप्रभसूर (वि.सं. १२८२/ ई. सन् १२२६ में अलंकारमहोदधि के रचनाकार) विजयसिंहसूर १७२ माणिक्यचन्द्रसूरि (वि.सं. १२९८/ई. सं. १२४२ के शत्रुंजय के प्रशस्ति लेख में उल्लिखित) सुधाकलश (वि.सं. १४०६ / ई.सन् १३५० में संगीतोपनिषत्सारोद्धार के रचयिता) जैसा कि प्रारम्भ में कहा गया है इस गच्छ की सद्गुरूपद्धति१४ नामक एक गुर्वावली भी मिलती है। प्राकृत भाषा में २६ गाथाओं में रची गयी यह कृति वि.सं. की १४वीं शती की रचना मानी जा सकती है। इसमें अभयदेवसूरि से लेकर पद्मदेवसूरि तक के मुनिजनों की गुरू- परम्परा इस प्रकार दी गयी है : Jain Education International अभयदेवसूर चन्द्रसूर श्रीचन्द्रसूरि पद्मदेवसूरि श्रीतिलकसूरि (वि.सं. १३५२-८० प्रतिमालेख) राजशेखरसूरि (वि.सं. १३८६-१३१४ प्रतिमालेख अनेक ग्रन्थों के रचनाकार) मुनिचन्द्रसूरि हरिभद्रसूरि मानदेवसूरि सिद्धसूरि महेन्द्रसूरि विबुधचन्द्रसूरि For Private & Personal Use Only देवभद्रसूरि श्री विजयानंद सूरि स्वर्गारोहण शताब्दी ग्रंथ www.jainelibrary.org
SR No.012023
Book TitleVijyanandsuri Swargarohan Shatabdi Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNavinchandra Vijaymuni, Ramanlal C Shah, Shripal Jain
PublisherVijayanand Suri Sahitya Prakashan Foundation Pavagadh
Publication Year
Total Pages930
LanguageHindi, English, Gujarati
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size22 MB
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