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________________ व्यक्तित्व के समग्र विकास की दिशा में 'जैन शिक्षा प्रणाली की उपयोगिता' श्रीचन्द सुराना संसार का घटक है व्यक्ति, और व्यक्ति की पहचान होती है उसके व्यक्तित्व से। जैसे अग्नि की पहचान, उसकी उष्मा और प्रकाश से, जल की पहचान उसकी शीतलता और तरलता से होती है, उसी प्रकार व्यक्ति की पहचान उसके व्यक्तित्व- अर्थात् शारीरिक एवं मानसिक आत्मिक गुणों से होती है। स्वेट मार्टेन ने व्यक्तित्व के कुछ आवश्यक घटक बताये हैं—स्वस्थ शरीर, बौद्धिक शक्ति, म नसिक दृढता, हृदय की उदारता, भावात्मक उच्चता (करूणा-मैत्री-सेवा आदि) तथा व्यावहारिक दक्षता, समयोचित व्यवहार आदि। लार्ड चेस्टटन ने वेशभूषा (ड्रेस- Dress) और बोलचाल की शिष्टता-सभ्यता (एड्रेसAdress) को व्यक्तित्व का महत्वपूर्ण अंग माना है। भर्तृहरि ने नीतिशतक में महान व्यक्तित्व के घटक गुणों की चर्चा करते हुए लिखा है : विपदि धैर्यमथाभ्युदये क्षमा, सदसि वाक्पटुता युधि विक्रम, यशसि चाभिरूचि व्यसनं श्रुतो, प्रकृतिसिद्धमिदं हि महात्मानाम् -नीतिशतक-६३ श्री विजयानंद सूरि स्वर्गारोहण शताब्दी ग्रंथ १४० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012023
Book TitleVijyanandsuri Swargarohan Shatabdi Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNavinchandra Vijaymuni, Ramanlal C Shah, Shripal Jain
PublisherVijayanand Suri Sahitya Prakashan Foundation Pavagadh
Publication Year
Total Pages930
LanguageHindi, English, Gujarati
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size22 MB
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