SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 369
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आ. शांतिसागरजी जन्मशताब्दि स्मृतिग्रंथ सत्त्व का वर्णन करते हुये किस गुणस्थान में कितनी प्रकृतियों का सत्त्व - सत्त्व व्युच्छित्ति होती है। इनका वर्णन है । १६४ ३ सत्त्वस्थान अधिकार में एक जीव को एक काल में युगपत् कितनी प्रकृतियों की सत्ता रहती है, बद्धायु हो या अबद्धायु हो तो किन प्रकृतियों की सत्ता रहती है इसका विशेष वर्णन है । ४ त्रिचूलिका अधिकार - (१) प्रथम चूलिका नव प्रश्नों को पूछकर प्रथम चूलिका का व्याख्यान है । प्र. १. किन प्रकृतियों के उदयव्युच्छित्ति के पहले बंधव्युच्छित्ति होती है । प्र. २. किन प्रकृतियों के उदयव्युच्छित्ति के अनन्तर बंधव्युच्छित्ति होती है । प्र. ३. किन प्रकृतियों की उदयव्युच्छित्ति और बंध- व्युच्छित्ति युगपत् होती है । प्र. ४. किन प्रकृतियों का उदय होते हुये ही बंध होता है । प्र. ५. किन प्रकृतियों का अन्य का उदय होते हुये ही बंध होता है । प्र. ६. किन प्रकृतियों का अपना या परका उदय होते हुये बंध होता है । प्र. ७. किन प्रकृतियों का निरंतर बन्ध होता है । प्र. ८. किनका सांतर बन्ध होता है । प्र. ९. किनका सांतर - निरंतर बन्ध होता है । पंचभाग हार चूलिका - में उद्वेलन, विध्यात, अधःप्रवृत्त, गुणसंक्रमण, सर्वसंक्रमण इनका वर्णन है । ३ दशकरण चूलिका - में १ बन्ध, २ उत्कर्षण, ३ संक्रमण, ४ अपकर्षण, ५ उदीरणा, ६ सत्त्व, ७ उदय, ८ उपशम, ९ निधत्ति, १० निकाचित इन दश करणों का वर्णन है । ५ (बन्ध-उदय-सत्त्वसहित स्थान समुत्कीर्तन अधिकार ) - एक जीव को युगपत् संभव प्रकृतियों के बन्ध - उदय - सत्त्व रूप स्थान तथा उनमें परिवर्तन होने के भंग इनका वर्णन है । प्रसंगवश किस गुणस्थान से किस गुणस्थान में चढना - उतरना ( गति - आगति ) होता है इसका वर्णन है । ६ प्रत्यय अधिकार — आस्रव के मूल चार प्रत्यय और उत्तर ५७ प्रत्ययों का किस गुणस्थान में कितने प्रत्यय संभव है उनका वर्णन है । ७ भाव चूलिका अधिकार - जीव के मोह और योग भाव से ही १४ गुणस्थान होते हैं । जीव के मूल भाव पांच हैं । १ औपशमिक, २ क्षायिक, ३ मिश्र, ४ औदयिक, ५ पारिणामिक । इनके उत्तर भेद ५३ होते हैं । गुणस्थान अपेक्षा से किसको कितने भाव युगपत् संभव है उनका वर्णन है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012022
Book TitleAcharya Shantisagar Janma Shatabdi Mahotsav Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinwani Jirnoddharak Sanstha Faltan
PublisherJinwani Jirnoddharak Sanstha Faltan
Publication Year
Total Pages566
LanguageHindi, English, Marathi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy