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________________ | श्री जैन दिवाकर - स्मृति-ग्रन्थ || चिन्तन के विविध बिन्दु: ५५२ : इसका आशय १ करोड़ -१ है। एक करोड़ में से २ घटाने के लिए इस प्रकार भी लिखा है ___को . घनलोक में से २ घटाने के लिए इस प्रकार लिखा है यहाँ पर संकेत = घनलोक के लिए प्रयोग किया गया है। एक लाख में से १ घटाने के लिए इस प्रकार लिखा है 'त्रिलोकसार' में भी घटाने के लिए उपरोक्त चिन्ह ० मिलता है। उसमें लिखा है कि मूल राशि (जिसमें से घटाना हो) के नीचे बिन्दी लिखो और फिर बिन्दी के नीचे ऋण राशि (घटाई जाने वाली संख्या) लिखो । यथा यदि २०० में से २ घटाने हों तो इस प्रकार लिखते है - घटाने के लिए तथा संकेतों का प्रयोग भी पं० टोडरमल ने 'अर्थसंदृष्टि' में किया है। जैसे एक लाख में से ५ घटाने के लिए इस प्रकार लिखा है" था ल -५ तथा घटाने के लिए संकेत के स्थान पर ऋण शब्द का प्रतीकात्मक प्रथम अक्षर भी प्रयोग किया गया है । प्राचीन साहित्य में ऋण के लिए रिण लिखा जाता था। अत: घटाने के लिए 'रि' और कहीं-कहीं 'रिण' का प्रयोग होता था। परन्तु यह अक्षर, जिस अङ्क को घटाना होता था, उसके बाद में लिखा जाता था। 'तिलोयपण्णत्ति' में ऐसे उदाहरण अनेक जगह मिलते हैं । यथा ६ अर्थसंदृष्टि, पृष्ठ 8 १० त्रिलोकसार, परिशिष्ट, पृष्ठ २ ११ अर्थसंदृष्टि, पृष्ठ ६ १२ तिलोयपण्णत्ति, भाग १, पृष्ठ २० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012021
Book TitleJain Divakar Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKevalmuni
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year1979
Total Pages680
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size17 MB
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