SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 466
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ : ४११ : प्रेरक प्रवचनांश प्रसिद्ध वक्ता श्री जैन दिलाकर जी महाराज के श्री जैन दिवाकर- स्मृति-ग्रन्थ वाणी के जादूगर की वाणी की दुर्लभ विशेषताओं और प्रेरणाओं का सरस मूल्यांकन * प्राचार्य श्रीचन्द जैन प्रेरक प्रवचनांश पूज्य जैन दिवाकरजी महाराज उन प्रवचनकारों में थे जिन्होंने अपनी सशक्त एवं ओजस्विनी वाणी में जो कुछ कहा वह गंगा की धारा के समान उदात्त, प्रशस्त एवं जन- जन कल्याणकारी था और युग-पुरुष के समान उनकी सैद्धान्तिक मान्यता युग-युगों तक जीवित रहेगी। वे एक विशाल वट-वृक्ष थे जिसकी सुखद छाया में बैठकर 'लोक' ने अपनी कथा को भुलाया एवं चिर-वाञ्छित कामना की पूर्ति की । एम० ए० एल- एल० बी० (उज्जैन) संक्षेप में पूज्यपाद श्री जैन दिवाकरजी महाराज के प्रवचनों की कतिपय विशेषताएँ निम्नलिखित हैं (१) चिन्तन की विशालता । (२) लोकोपयोगी भाषा या बोली का प्रयोग | (३) पूर्वाग्रह का सर्वथा अभाव । ( ४ ) व्यापक अहिंसा का प्रखर विवेचन । (५) मानवता के प्रमुख उद्धारक । (६) धार्मिक, नैतिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक क्रान्ति का अमोघ घोष (७) लोक संस्कृति का समादर । (5) अहिंसक जीवन शैली का अधिग्रहण | (६) अभिशप्त मानव के प्रति विशेष लगाव । Jain Education International (१०) यथावसर सुभाषितों का प्रयोग । (११) प्रतिपादित विषय को अधिक ग्राह्य बनाने के लिए लोक-कथाओं, कहावतों एवं मुहावरों आदि का प्रचुर उपयोग । (१२) यथार्थवाद की आधारशिला पर आदर्शवाद की प्रतिष्ठा । (१३) व्यक्ति की अपेक्षा समाज की विशेष अनुमोदना । (१४) 'वसुधा मेरा कुटुम्ब है।' इस सिद्धान्त का मूलत: पालन । (१५) अन्धविश्वासों का सर्वत्र तिरस्कार | (१६) कुरीतियों का सार्थक उन्मूलन । ( १७ ) संशय ग्रस्त मानव को स्पष्ट जीवन-दर्शन की उपलब्धि कराना । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012021
Book TitleJain Divakar Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKevalmuni
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year1979
Total Pages680
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy