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________________ श्री जैन दिवाकर स्मृति ग्रन्थ ॥ श्रीचतुर्भुजजी ॥ - जीवदया और सदाचार के अमर साक्ष्य : १६४ : सही व० म० नारसिंह सिद्धश्री महाराज श्रीनहारसिहजी वचनातु जैनधर्म सम्प्रदाय के मुकटमणि आचार्य कुलकमल दिवाकर श्री पूज्यजी महाराज श्री श्री १०८ श्रीचौथमलजी साहब को पदार्पण शुभ मिति वैषास विद १४ सं० १९९७ मारे गांव मंगरोप में हुवो और धर्मोपदेश व्याख्यान गढ़ में हुवो जिससे मारा व जनता पर बहुत आच्छो प्रभाव पड्यो। मारी तरफ सूं नीचे लिख्या प्रमाणे धर्मं पलायो जावेगा । (१) वैषाख सुद १५ पूर्णिमा ही से हर श्रीभगवान के गुणानुवाद की अमृतरूपी कथा श्रवण होगी । (२) नवरात्रि में हमेशा से गढ़ पर माताजी के १ मैसे का बलिदान होता है सो अब कतई बन्द रहेगा । Jain Education International पूर्णिमा को मैं व्रत कर एक वक्त भोजन करूँगा (३) एक माह में ५ रोज हमेशा हर माह के लिए शिकार खेलना, खाना, मदिरा पान करना बिलकुल बन्द रहेगा । ॥ श्रीरामजी ॥ (४) चैत्र सुदि १३ भगवान् महावीर के जन्म दिन और पौष विदि १० भगवान् पार्श्वनाथजी के जन्म दिन का पट्टे के सभी गाँवों में अगता रहेगा । (५) पूज्यवर श्रीचौथमलजी महाराज के इस गाँव में आगमन और प्रस्थान के दिन का भी अगता रहेगा । ॥ श्री एकलिंगजी ॥ इस मुजब धर्म की पाबन्दी रहेगी। ॐ शांतिः शांतिः सं० १९९७ वैशाख शुक्ला १ ता० ८-५-११४० ई० श्री रावला हुक्म से केसरीलाल ओजा कामदार ठिकाना ॥ श्रीरामजी ॥ For Private & Personal Use Only मोजा बड़ोदा पट्टे विजयपुर (मेवाड़) श्रीमान् जैन दिवाकर स्वामिजी साहब श्री १०८ श्री चौथमलजी महाराज की सेवा में । आज आप घटावली पधारे व धर्मोपदेश सुनाया इससे बड़ी खुशी हुई । इस सिलसिले में पौष विदि १० श्रीपार्श्वनाथजी का जन्म दिन और चैत्र सुदि १३ श्रीमहावीर स्वामी का जन्म दिन होने से दोनों दिन किसी किस्म की हिंसा न होगी अगता रखा जायगा । और हो सका तो नवरात्रि में भी बलिदान की बजाय अमर्या कर देंगे । यह पट्टा सेवा में नजर है । सं० १९९६ चैत्र सुदि ७ ता० १४-४-४० ६० रतनसिंह शक्तावत * www.jainelibrary.org
SR No.012021
Book TitleJain Divakar Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKevalmuni
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year1979
Total Pages680
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size17 MB
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