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________________ श्री जैन दिवाकर-स्मृति-ग्रन्थ ।। जीवदया और सदाचार के अमर साक्ष्य : १६२: ॥श्री गोपालजी ॥ ॥श्री रामजी॥ (द०) नहारसिंह का (द०) कुंवर दौलतसिंह का सिद्ध श्री ठाकुर साहेब श्री नहारसिंहजी कुंवर साहेब श्री दौलतसिंहजी करसाणा (टोंक) का वचनासु जैन सम्प्रदाय के जैन दिवाकर प्रसिद्धवक्ता मुनि श्री चौथमलजी महाराज का आज महा सुदि ६ शनिवार संवत १९६६ तदनुसार तारीख १७ फरवरी सन् १९४० ई० को रावले में जीवदया आदि अनेक विषयों पर व्याख्यान हुआ। जिसका प्रभाव मेरे तथा मेरी जनता पर अच्छा पड़ा। मुझको महाराज का उपदेश बहुत प्रिय लगा और व्याख्यान से प्रभावित होकर प्रतिज्ञा करता हूँ कि (१) इन महाराज के आगमन तथा प्रस्थान के दिन अगता रखाया जायगा और १३ तेरा बकरा अमर्या किया जावेगा।। (२) ग्यारस, अमावस के दिन बैल नहीं जोतने दिए जाएंगे व शिकार नहीं करेंगे, खटीकों की दुकान भी बन्द रहेगी। (३) हमारे गाँव में नवरात्रि के दिनों में माताजी फूलबाई, लालबाई, चावंडाजी, शीतलाजी आदि के स्थान पर जीव हिंसा नहीं होगी; जब तक हमारा वंश रहेगा वहाँ तक पालन होगा। (४) पयूषण पर्व में ८ आठों ही दिन अगता रहेगा भय खटीकों की दुकानें सहित । (५) श्राद्ध-पक्षों में अगता रहेगा। (६) ठाकुर साहेब व कुंवर साहेब झटके से जानवर नहीं मारेंगे। (७) और हमारे गाँव में कोई भी जानवर व बैल वगैरह खसी नहीं करेंगे। उपरोक्त प्रतिज्ञाओं की पाबन्दी हमेशा के लिए रहेगी। संवत् १९६६ का महा सुदि६ शनिवार ता० १७-२-४० ई० (द०) भैरूलाल मेहता का ठाकुर साहेब कुंवर साहेब तथा माँ साहेब के हुक्म से लिखा। (द०) राणावत प्रतापसिंह ॥श्री परमेश्वरजी। द० कारुसिंह का जैन दिवाकर प्रसिद्धवक्ता पण्डित मुनि श्री चौथमलजी महाराज की सेवा में ठाकुर कारुसिंहजी बामणियावाला की तरफ से नमस्कार मालूम होवे और अर्ज करे कि आज ता. २४-३-४० मिति चैत्र विदि २ सं० १६६६ के रोज आपके व्याख्यान मने जिससे नीचे मुजब नियम धारण किया (१) नवरात्रि में जो जीव हिंसा होवे है ठीकाणा तथा दीगर जगा सो अब आयन्दा होगा नहीं (२) मैं अपने हाथ से कोई शिकार करूंगा नहीं। यह पत्र मुनि श्री की सेवा में भेंट कर देवे सं० १९६६ चैत्र विदि २ द० सौभागमल जावरावाला Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012021
Book TitleJain Divakar Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKevalmuni
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year1979
Total Pages680
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size17 MB
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