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________________ श्री जैन दिवाकर स्मृति ग्रन्थ || श्री रूपनारायणजी ॥ दस्तखत अंग्रेजी में ठाकुर साहिब के जीवदया और सदाचार के अमर साक्ष्य १५० ॥ श्री रामजी ॥ मोहर छाप लसाणी (मेवाड़) X जैन सम्प्रदाय के प्रसिद्ध बक्ता श्री चौथमलजी महाराज का लसाणी में यह तीसरी मरतवा पधारना हुआ । और इस मौके पर तीन दिन विराज कर जो उपदेश फरमाया उससे चित्त प्रसन्न होकर नीचे लिखी प्रतिज्ञा की जाती है (१) परिन्दे जानवर इरादतन नहीं मारे जावेंगे । (२) श्रावण व भाद्रव मास में इरादतन शिकार नहीं की जावेगी । (३) मादिन जानवर इरादतन नहीं मारे जायेंगे । (४) चैत्र शुक्ला १३ श्री महावीर स्वामी का व पौष कृष्णा १० श्री पार्श्वनाथजी का जन्म दिन होने से हमेशा के लिए अगता पलाया जावेगा । Jain Education International (५) स्वामीजी श्री चौथमलजी महाराज के पधारने व विहार करने के दिन अगता पलाया जावेगा । (६) ग्यारस, अमावस्या के दिन शिकार जमीन में नहीं की जावेगी । (७) श्रावण मास के सोमवारों को हमेशा के लिए अगता पलाया जावेगा । (5) श्राद्ध पक्ष में पहले से शिकार की दुकान का अगता पलता है वह अब भी बदस्तूर पलेगा। इसके अलावा पजूसणों में भी शिकार की दुकान का हमेशा के लिए अगता रहेगा । (१) मच्छी व हिरन की शिकार नहीं की जावेगी । (१०) स्वामीजी महाराज श्री चौथमलजी का यहाँ पधारना हुआ इस खुशी में इस मरतबा ५ बकरे अमरिये कराये जायेंगे | (११) वैशाख मास में पहले से शिकार की रोक है उस माफिक अमल हमेशा के लिए रहेगा। लिहाजा - हु० नं० ५६ नकल इसकी स्वामीजी श्री चौथमलजी महाराज के सूचनार्थ भेंट की जावे अगते पलाने की सटिकान को हिदायत कराई जावे अमरिये बकरे कराने की नामेदार हस्व शरिस्ता काररवाई करे सं० १९८३ ज्येष्ठ कृष्णा ४ शुक्रवार ता० २० मई, सन् १९२७ ई० 1 For Private & Personal Use Only * www.jainelibrary.org
SR No.012021
Book TitleJain Divakar Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKevalmuni
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year1979
Total Pages680
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size17 MB
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