SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 190
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ : १४१ ऐतिहासिक दस्तावेज श्रीरघुनाथजी मोहर छाप बेदला ॥ श्री रामजी ॥ श्री जैन दिवाकर स्मृति ग्रन्थ जैन साधु २२ सम्प्रदाय के सुप्रसिद्ध वक्ता मुनि श्री चौथमलजी महाराज का शुभागमन मगसिर कृष्णा ६ को वेदले हुआ। गाँव में व राज्यस्थान में तीन दिन व्याख्यान हुए। जिसमें प्रजा को व मुझे आनन्द हुआ। नीचे लिखे मुआफिक यहाँ भी अगते पलाये जायेंगे । 44*X (१) पहले से यहाँ अगते रखे जाते हैं। फिर पजूसणों से मिति मादवा सुदी १५ तक अगते पलाये जावेंगे गरज के उदयपुर के मुजिब पूरे अगते पालेंगे । (२) दोयम चैत्र शुक्ला १३ श्री महावीर जयन्ति पौष वदी १० श्री पार्श्वनाथ जयन्ति के अगते भी पलाये जायेंगे | (३) श्री चौथमलजी महाराज के बेदले पधारना होगा तब भी आने व जाने की मिति का अगता पलाया जावेगा । ऊपर मुजिब हमेशा अमलदरामद रहेगा । लिहाजा हु० नं० ३९० महाफीज दफ्तर मुसला होवे कि यह अगते पलाये जाने का नोट दर्ज किताब कर लेवें। नामेदार इस माफिक अमल रखाने की कारवाई करे। नकल इसकी बतौर सूचनार्थ श्री चौथमलजी महाराज के पास भेजी जाये । स० १६८३ मिगसर बदी १२ ता० २-१२-१६२६ ई० Jain Education International ॥ श्री एकलिंगजी || श्री रामजी ॥ सही जैन सम्प्रदाय के पण्डित मुनि महाराज श्री चौथमलजी के व्याख्यान सुनने की अर्से से अभिलाषा थी कि आज मृगशिर सुदी ४ को व्याख्यान ततोली पधारने पर सुना व्याख्यान परोपकार व जीवन सुधार के बारे में हुआ। जिसके सुनने से मुझको व रिलाया को बड़ा आनन्द प्राप्त हुआ। नीचे लिखी प्रतिज्ञा की जाती है इस मुताबिक ( १ ) तीतर की शिकार मेरे हाथ से नहीं करूंगा । (२) बटेर लावा की शिकार मेरे हाथ से नहीं करूँगा । (३) ग्यारस, अमावस, पूनम शिकार नहीं करूंगा। न ततोली पटे में करने दूंगा । (४) स्वामीजी महाराज श्री चौथमलजी के आने के दिन व जाने के दिन अगता पाला जावेगा । (५) पौष विदी १० श्री पार्श्वनाथजी का जन्म व पंत सुदी १३ महावीर स्वामी का जन्म होने से अगता रखा जावेगा । (६) रामनवमी, जन्माष्टमी को भी अगता खखा जावेगा । (७) नोरता में पाड़ा वध नहीं किया जावेगा । सं० १९६० का मृगशिर सुदी ४ रामसिंहजी और जोरावरसिंहजी ने जीवन पर्यन्त किसी जीव की हिंसा नहीं करने के त्याग किये और ढीकरे कुंवर अमरसिंहजी ने हिरण की शिकार नहीं करने के त्याग किये । द० रूपा साहब ततोली For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012021
Book TitleJain Divakar Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKevalmuni
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year1979
Total Pages680
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy