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________________ :१३७ : ऐतिहासिक दस्तावेज । श्री जैन दिवाकर-स्मृति-ग्रन्थ X ++ +++ X ॥ श्री॥ सरकुलर ठिकाना साहरंगी बाइजलास राजेश्री ठाकरा जोरावरसिंहजी साहब । तारीख २३-१२-२१ ई० नकल मुताबिक असल के जो के ठिकाने हाजा की हद में ऐसा कोई इन्तजाम नहीं है । जिसकी वजह से हर शख्स शिकार बे-रोक-टोक किया करते हैं । यह * बेजा है इसलिए यह तरीका आयंदा जारी रहना ना मुनासिब है । लिहाजा नं० १५२० हुक्म हुआ के आज तारीख से प्रगणे हाजा में बिला मंजुरी ठिकाना शिकार खेलन की मूमानियत की जाती है। इत्तला इसकी मारफत पुलिस तमाम मवाजेआत के भवइयान या हवालदारान के जयें आम लोगों को करा दी जावे के कोई शख्स इसकी खिलाफवर्जी करेगा वह मुस्तेहक सजा के होगा। फक्त बाद काररवाई असल हाजा शामिल फाइल हो । सही हिंदी में बहादुरसिंह सही हिंदी में ठाकरां कामदार साहरंगी साहरंगी ॥श्री रामजी॥ श्री गोपालजी! मोहर छाप आज यहाँ जैन सम्प्रदाय के महाराज चौथमलजी ने कृपया बोहड़ा व्याख्यान उपदेश किया। परमेश्वर स्मरण, दया, सत्य, धर्म जीव-रक्षा न्याय विषय पर जो प्रशंसनीय व पूरा हितकारी सर्वजनों के लाभदायक पूरा परमार्थ पर हुआ। आपके उपदेश से चित्त प्रसन्न होकर प्रतिज्ञा की जाती है कि (१) मादीन जानवरों की इरादतन शिकार न की जायगी। (२) छोटे पक्षी चिड़ियाओं की शिकार करने की रोक की जायगी। (३) मोर, कबूतर, फाक्ता (सफेद डेकड़) जो मुसलमान लोग मारते हैं न मारने दिये जायेंगे। (४) पजूसणों में व श्राद्ध-पक्ष में आमतौर पर बेचने को जो बकरे आदि काटते हैं, उनकी रोक की जायगी। (५) पजूसणों में कतई दारू की भट्टियां बन्द रखी जायेंगी। सं० १९८२ का ज्येष्ठ शुक्ला ५ भोमे । (द०) नाहरसिंह Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012021
Book TitleJain Divakar Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKevalmuni
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year1979
Total Pages680
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size17 MB
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