SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 84
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मृगशिर नक्षत्र तारा संख्या आर्द्रा नक्षत्र तारा संख्या पुनर्वसु नक्षत्र तारा संख्या पुष्य नक्षत्र तारा संख्या अश्लेषा नक्षत्र तारा संख्या मघा नक्षत्र तारा संख्या पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र तारा संख्या उत्तराषाढ़ा नक्षत्र तारा संख्या अभिजित नक्षत्र तारा संख्या चन्द्रप्रज्ञप्ति और सूर्यप्रज्ञप्ति का पर्यवेक्षण श्रवण नक्षत्र तारा संख्या धनिष्ठा नक्षत्र तारा संख्या शतभिषक् नक्षत्र तारा संख्या पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र तारा संख्या उत्तराभाद्रपद नक्षत्र तारा संख्या रेवती नक्षत्र तारा संख्या उन्नीस नक्षत्रों की तारा संख्या सम. १००, सू. २ सम. २, स. ५ सम. २, सु. ६ सम. ३१, सु. ६ सम. ९८, सू. ७ व्याख्याप्रज्ञप्ति ( भगवती ) में चन्द्र-सूर्यप्रज्ञप्ति से संबंधित सूत्र ज्योतिषीदेवों के नामों के सूत्र उदय, जम्बूद्वीप से स्वयम्भूरमण समुद्र पर्यन्त सभी द्वीप - समुद्रों में ज्योतिष्कों की संख्या Jain Education International सम. ३. सूत्र ६ सम. १, सू. २६ सम. ५, सू. १० सम. ३, सू. ७ सम. ६, सू. ८ सम. ७, सू. ७ सम. ४, सू. ८ सम. ४, सू. ९ सम. ३, स. ९ सम. ३, सू. २ सम. ५, सू. १३ भग० श०१, ३०.२, सू० २-५ जीवा० (सू० १७५-१७७) के अनुसार जानने की सूचना । मानुषोत्तर पर्वत के अन्दर और बाहर के ज्योतिषियों की उत्पत्ति का प्ररूपणभग० श०८, उ०८, सू०४६-४७ ज्योतिषीदेवों के कर्मक्षय का प्ररूपण - सूर्य का स्वरूप, अर्थ, प्रभा, छाया और लेश्या का प्ररूपण - अस्त और मध्याह्न के समय सूर्य की समान ऊँचाई For Private & Personal Use Only ४३ भग० श० ३, उ० ७, सू० ४/४ भग० श०८, उ० १ सू० १५ भग० श०८, उ० १, सू० ३१ भग० श०५, उ० ९, सु० १७ भग० श० १८, उ० ७, सू० ५१ भग० श० १४, उ० ९, सू० १३-१६ भग० श०८, उ०८, सू० ३६ www.jainelibrary.org
SR No.012017
Book TitleAspect of Jainology Part 3 Pandita Dalsukh Malvaniya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorM A Dhaky, Sagarmal Jain
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1991
Total Pages572
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy