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________________ आगमिक गच्छ/प्राचीन त्रिस्तुतिक गच्छ का संक्षिप्त इतिहास २५५ अमरसिंहस रि सोंमतिलकसूरि सोमचन्द्रसूर गुणरत्नसूरि देवरत्नसूरि [गजसिंहसकुमाररास वि०स० १५१३ के रचनाकार] मुनिसिंहसरि [वि०स० १४९९] प्रतिमा लेख मतिसागरसूरि शीलरत्नसूरि [वि०सं० १५०६-१५१३]] प्रतिमा लेख उदयधर्मसूरि [प्रथम आनन्दप्रभबरि [मलय सुन्दरीरास वि०स० १२४३ [वि०स० १४१३-१५१४] कथाबत्तीसी वि०स० १५५७] गुणप्रभसूरि मुनिरत्नसूरि [वि०स० १५२०] प्रतिमा लेख [वि०स० १५२३-१५४३] प्रतिमा लेख ...धंघूकीयाशाखा मुनिसागरसूरि [आगमिकगच्छगुर्वावली] के रचनाकार आनन्दरत्नसूरि [वि०स० १५७१-१५८३] प्रतिमा लेख ज्ञानरत्नस रि हेमरत्नसरि [वि०स० ११७७] प्रतिमा लेख अमरसिंहसूरि उदयधर्मसूरि द्वितीय] [धर्मकल्पद्रुम के रचनाकार] रत्नतिलकसूरि [वि०स० १५८४ में मेघदूत की प्रति के लेखक] उदयसागरसूरि .. धर्महंससरि व०स०१६२० के लगभग भानुभट्टसूरि नववाडढालबंध के रचनाकार] माणिक्यमंगलसूरि [वि०स० १६३९ में अंबडरास के रचनाकार Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012017
Book TitleAspect of Jainology Part 3 Pandita Dalsukh Malvaniya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorM A Dhaky, Sagarmal Jain
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1991
Total Pages572
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size12 MB
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