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________________ आगमिक गच्छ/प्राचीन त्रिस्तुतिक गच्छ का संक्षिप्त इतिहास . २४९ ३. हेमरत्नसूरि के पट्टधर अमररत्नसूरि-इनके द्वारा वि०सं० १५२४ से वि० सं० १५४७ के मध्य प्रतिष्ठापित १८ प्रतिमायें उपलब्ध हुई हैं। इनका विवरण इस प्रकार हैबि० सं० १५२४ वैशाख सुदि २ गुरुवार १ प्रतिमा " " १५२४ कार्तिक वदि १३ शनिवार " 'i १५२५ तिथि विहीन " " १५२७ " " १५२८ " " १५२९ " " १५३० २ प्रतिमा १ प्रतिमा वैशाख सुदि ५ शुक्रवार ज्येष्ठ वदि १ शुक्रवार माघ वदि २ शुक्रवार माघ सुदि ५ वैशाख सुदि ३ ज्येष्ठ वदि १३ बुद्धवार वैशाख सुदि ६ सोमवार आषाढ़ सुदि २ मंगलवार वैशाख सुदि ३ शुक्रवार वैशाख सुदि ५ गुरुवार ' १५३१ १५३२ १५३२ १५३५ " १५३५ " १५३६ १५४७ ४ प्रतिमा १ प्रतिमा ४. अमररत्नसूरि के पट्टधर सोमरत्नसूरि -इनके द्वारा प्रतिष्ठापित १२ प्रतिमायें मिलती हैं, जो वि० सं० १५४८ से वि० सं० १५८१ तक की हैं । इसका विवरण इस प्रकार है-- वि०सं० १५४८ १ प्रतिमा " " १५५२ " " १५५२ " " १५५५ " १५५६ १५६७ १५६९ " १५७१ " १५७१ " १५७३ " १५७३ वैशाखसुदि ३ वैशाख सुदी ३ माघ वदि ८ शनिवार ज्येष्ठ सुदि ९ रविवार वैशाख सुदि १३ रविवार वैशाख सुदि ३ बुद्धवार वैशाख सुदि ९ शुक्रवार चैत्र वदि २ गुरुवार चैत्र वदि ७ गुरुवार ... ? वैशाख सुदि ६ गुरुबार फाल्गुन सुदि २ रविवार माघ सुदि ५ गुरुवार " " १५८१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012017
Book TitleAspect of Jainology Part 3 Pandita Dalsukh Malvaniya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorM A Dhaky, Sagarmal Jain
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1991
Total Pages572
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size12 MB
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