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________________ Jain Education International गाथा० नं० संस्कृत ज. को० आदि मूलपाठ आदि आइ आइ ० आइ __ आइ. आदि स्वो० टी० आदि आदि इध जे० आदि आति आदि त० आदि आइ । -आइ- आइ आइ आइ आइ २१. इह इध इह इध इध इह इह इह इह उज्जुसुता उज्जुसुया उज्जुसुया उज्जुसुता उज्जुसुता कत कय कय कत कत इह उज्जुसुता कत गालयति चूतो चूताईएहितो णाण गालयति गालयइ ऋजुसूत्रो कृत गालयति चूतः चूतादिभ्यः ज्ञान ज्ञानम् चूतो चूओ For Private & Personal Use Only गालयति चूतो चूयातीए णाण चूता० गालय चओ चूयाईए° नाण गालयति चूवो चूताईए° णाण चूथाईए० डॉ० के० आर० चन्द्र णाण नाण णाणं णाणं नाणं नाणं णाणं णाणं ज्ञायक जाणग जाणय जाणग जाणग जाणग ततो जाणय तओ ततः ततो ततो विधा तिधा तिहा तिहा तिधा दवते दवते दवए द्यते द्रवति दूयति दूयति नमस्कारः णमोक्कारो णमोक्कारो २३. निपातात् णिवातणातो णिवातणातो ९७. निबुध्यते णिबुज्झति णिबुज्झति दवए दुयए नमोक्कारो निवायणाओ निबुज्झइ तओ ततो तिधा तिधा दवते दवते दुयए दूयति दुयए नमोक्कारो णमोकारो णमोक्कारो निवायणाओ णिवातणावो णिवातणातो णिबुज्झइणिबुज्झति णिबुज्झति www.jainelibrary.org
SR No.012015
Book TitleAspect of Jainology Part 1 Lala Harjas Rai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1987
Total Pages170
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size10 MB
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