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________________ शीर्षस्थ विद्वानों को समर्पित करे किन्तु श्रमण के अधिकांश पाठकों के रुचि वैभिन्न्य, स्तरीय लेखों के अभाव एवं आर्थिक कारणों से ऐसा नियमित प्रकाशन सम्भव नहीं हो सका । अतः हमने 'जैन विद्या के आयाम' (Aspects of Jainology) शीर्षक के रूप में एक ग्रन्थमाला प्रकाशित कर उसका 'प्रथम पुष्प' संस्थान के संस्थापक लाला जी की पुण्यस्मृति में अर्पित करने का निश्चय किया। अपनी योजना को मूर्तरूप देने हेतु हमने जैनविद्या के विद्वानों से लेख आमन्त्रित किये । विद्वानों ने अतीव उत्साहपूर्वक अपने लेख भेजकर हमें जो सहयोग प्रदान किया हम उसके लिए उनके आभारी हैं । ग्रन्थ के प्रारम्भ में लालाजी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर कुछ लेख हैं, उसके पश्चात् अंग्रेजी और हिन्दी भाषा में जैन विद्या से सम्बन्धित निबन्ध हैं । इस ग्रन्थ के प्रकाशन का सम्पूर्ण आर्थिक भार पूज्य लाला जी की स्मृति में स्थापित चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा वहन किया गया अतः हम उस ट्रस्ट के ट्रस्टियों के भी आभारी हैं। इस ग्रन्थ का मुद्रण-कार्य रत्ना प्रेस, वाराणसी ने शीघ्र ही सम्पन्न किया जिसके लिए हम उनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हैं। प्रूफ संशोधन में डा० शिवप्रसाद, अशोक कुमार सिंह, डा० उमेशचन्द्र सिंह, श्री जितेन्द्र शाह एवं श्री महेश कुमार का सहयोग हमें प्राप्त हुआ एतदर्थ हम उनके प्रति भी आभारी हैं। प्रो० सागरमल जैन निदेशक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012015
Book TitleAspect of Jainology Part 1 Lala Harjas Rai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1987
Total Pages170
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size10 MB
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