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________________ ब वहिश्रकवालवृत्त चित्र ३६ इसके अतिरिक्त 'गणितसारसंग्रह' ग्रन्थ में 'हस्तदन्त क्षेत्र' का भी उल्लेख मिलता है । ६ (चित्र ३८ ) महावीराचार्य ने ऐसी कई अन्य आकृतियों का उल्लेख किया है जिनका विवेचन उनसे पहले किसी अन्य हिन्दू गणितज्ञ ने नहीं किया है । वे आकृतियां ये हैं ७ - यवाकारक्षेत्र ( जौ के आकार का क्षेत्र ), मुरजाकार क्षेत्र ( मृदंगाकार क्षेत्र), पणवाकार क्षेत्र, वज्राकार क्षेत्र, उभयनिषेध क्षेत्र, एक निषेध क्षेत्र तथा संस्पृशी तीन और चार वृत्तों द्वारा सीमित क्षेत्र । इन आकृतियों के आकार निम्न प्रकार हैं -- Ge प 2 हस्तदन्त क्षेत्र चित्र ३८ पणवाकारक्षेत्र चित्र ४१ एक निषेध आकृति चित्र ४४ Jain Education International जैन साहित्य में क्षेत्र - गणित वज्राकार क्षेत्र चित्र ४२ B यवाकारक्षेत्र चित्र ३६ O संस्पृशी तीन वृत्तवाला क्षेत्र चित्र ४५ अंतश्चक्रवाल वृत्त चित्र ३७ ४२७ मुरजाकारक्षेत्र चित्र ४० उभयनिषेध आकृति चित्र ४३ For Private & Personal Use Only && संस्पृशी चार वृत्त वाला क्षेत्र चित्र ४६ ॐ 30 आचार्य प्रव997 अन् श्री आनन्द www.jainelibrary.org
SR No.012013
Book TitleAnandrushi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaymuni Shastri, Devendramuni
PublisherMaharashtra Sthanakwasi Jain Sangh Puna
Publication Year1975
Total Pages824
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size21 MB
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