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________________ पचास्तिकाय में पुद्गल टा e यह पृथ्वी सबसे बड़ा स्कन्ध है। संसार में जितने भी पुद्गल स्कन्ध दृष्टि में आते हैं वे सब स्निग्ध-रूक्ष गुणों से युक्त हैं । यह हम पहले परमाणु के बारे में कह आये हैं। उनकी रचना एक जैसी होने के कारण सब पुद्गल एक प्रकार के हैं । यही बात जैन दार्शनिकों का महत्त्वपूर्ण अविष्कार है । उमास्वाति जो ईसा की प्रथम शती में हुए उन्होंने तत्त्वार्थसूत्र में 3५ कहा है कि पुद्गल स्कन्ध के टूटने से, भेद से अथवा छोटे-छोटे स्कन्धों के संघात से उत्पन्न होते हैं। इन संघात (Combination) के मूल कारण परमाणु के स्निग्ध और रूक्षगुण हैं। जितने भी भिन्न-भिन्न प्रकार के स्कन्ध हैं, उनका बन्ध इन्हीं के आधार पर हुआ है। पुद्गल स्कन्ध में अणुसमूह और वातियों आदि पुद्गलों में व्यूहाणु (Molecales) की चलन क्रिया होती रहती है।३६ इसी क्रिया का वर्गीकरण दो प्रकार से किया गया है । ३७ उनमें से एक विस्रसा क्रिया होती है और दूसरी प्रयोग निर्मित क्रिया । विस्रसा गतिक्रिया प्राकृतिक है, विज्ञान में वतियों (Gasses) में जो व्युहायुओं की क्रिया कही गई है उसे भी विस्रसा गतिक्रिया जान सकते हैं। प्रयोगनिर्मित क्रिया बाह्य शक्ति या कारणों से भी उत्पन्न होती है। Electron Positively charged at negatively charged इसी वैज्ञानिक बन्ध-प्रक्रिया से संघातादि का जो सर्वार्थसिद्धि में नियम बताया गया है वह पूर्णतः इससे मिलता है । सूक्ष्म अणुओं की बन्ध प्रक्रिया को भी स्पष्ट किया गया है। अतः उसका कथन इस प्रकार है 'भेदसंघातेभ्य उत्पद्यन्ते, भेदादणुः । स्निग्ध-रूक्षत्वात् बन्धः, न जघन्यगुणानाम्, गुणसाम्ये सदृशानाम्, द्वयधिकाधिगुणानां, बंधेऽधिको पारिणामिकौ च । (१) अणु की उत्पत्ति सिर्फ भेद प्रक्रिया में ही हो सकती है, अन्य प्रकार की प्रक्रिया से नहीं। (२) स्निग्ध-रूक्ष के कारण ही बन्ध प्रक्रिया सम्भव है। अन्यथा स्कन्ध बन्ध ही न बनता । विजातीय से भी बन्ध होता या सजातीय का परस्पर बन्ध सम्भव है। (३) परन्तु एकाकी गुणों का होना बन्ध का कारण नहीं। दोनों गुण होना चाहिये । विजातीय गुण की संख्या का प्रमाण समान हो तो बन्ध नहीं होता। विज्ञान का Equal energy level व least energy level नियम यहां भी लागू होता है। (४) बन्ध उन्हीं परमाणुओं का सम्भव है जिसमें स्निग्ध और रूक्ष गुणों की संख्या में दो absolute units का अन्तर हो। ४:६।। जैन दर्शन में भेद, सघात और भेदसंघात इन्हीं तीन प्रक्रिया से बन्ध सम्भव बतलाया गया है। इसी की तुलना Molecules के लिए (1) electro Valency (2) Covalency और (3) Co-ordinate covalency से की जा सकती है। स्कन्धों से कुछ परमाणुओं का विघटित होना और दूसरे में मिल जाना भेद कहलाता है (Disinte gration) यही भेदात्मक प्रक्रिया की तुलना वैज्ञानिक Radioactivity प्रक्रिया से की जा सकती है। एक स्कन्ध के कुछ परमाणु का अन्य स्कन्ध के अणुओं के साथ जो मिलन होना बतलाया गया है उसी को संघात कहा UOL ३४. तत्त्वार्थसूत्र अ० ५/२६-३३ ३५. वही ३६. गोम्मटसार जीवकाण्ड ५६२ ३७. तत्त्वार्थराजवार्तिक ५/७ meansDADAAS NIPAT MIMINARomarwanamannerwironmaraar Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012013
Book TitleAnandrushi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaymuni Shastri, Devendramuni
PublisherMaharashtra Sthanakwasi Jain Sangh Puna
Publication Year1975
Total Pages824
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size21 MB
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