SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 214
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्रद्धा र्च न कविरत्न चन्दन मुनि (पंजाबी) (प्रसिद्ध कवि तथा प्रोजवी वक्ता) SHEOS वाया ज्योतिर्धर आचार्य-प्रवर श्री हमें मार्ग-दर्शन देते। मात्र वंदना भक्ति भावना का उपहार स्वयं लेते ॥१॥ नाम मधुर 'आनंद ऋषीश्वर' पचहत्तरवें संवत्सर में सागर है आनन्दों के। आप पा रहे पुण्य प्रवेश । करने वाले दूर निरंतर बने शतायु आप हम ऐसा भवसागर के फंदों के ॥२॥ रखते दृढ़ विश्वास विशेष ॥३॥ छल-बल का मल निकल चुका जब पढ़ी सात भाषाएँ फिर भी बना हुआ दिल सरल महान । प्राकृत पर है प्रेम महान । है व्यक्तित्व कृतित्व आपका इसीलिए प्राक्तन कृतियों पर गौरवशाली ज्ञान-प्रधान ॥४॥ __ करते रहते अनुसंधान ॥५॥ किया गहन अध्ययन तभी तो जिन-शासन को प्रभावना में बने आगमों के निष्णात । बने प्रेरणा-स्रोत महान । ऐसा मुझे प्रतीत हो रहा आगमानुमोदित है जग में ज्ञान-देवता हों साक्षात ॥६॥ आचार्यों का ऊंचा स्थान ॥७॥ श्रद्धार्चन स्वीकार कीजिये पंजाबी 'मुनि चंदन' का। श्लाघनीय अवसर पाया है हमने यह अभिनन्दन का ॥८॥ 7 MADUADOO YMarvriwwwwvvvveer Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012013
Book TitleAnandrushi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaymuni Shastri, Devendramuni
PublisherMaharashtra Sthanakwasi Jain Sangh Puna
Publication Year1975
Total Pages824
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy