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________________ जंन भूगोल पर एक दृष्टिपात ६२६ . AMAMAAN IANAMMAR जैन भूगोल पर एक दृष्टिपात KIWAN N नेमीचन्द्र सिंघई रिटायर्ड चीफ ड्राफ्समन दक्षिण पूर्व रेलवे सदर बाजार मैन रोड, नागपुर चन्द्रमा पर अमेरिका के अपोलो चन्द्रयान तथा वाइकिंग मंगलयान मंगल ग्रह पर उतरने से जैनियों की दृष्टि जैन भूगोल पर जाना स्वाभाविक है । जैन भूगोल पर शोध करने के लिए भारत में दो संस्थान है । एक का नाम है भूभ्रमण शोधसंस्थान कपडवंज, गुजरात और दूसरे का नाम है दि. जैन त्रिलोक शोध-संस्थान हस्तिनापुर । ये दोनों संस्थान अभी तक जैन साहित्य के आधार पर ही कार्य कर रहे हैं । इस विषय पर जो तत्व मिल सके हैं, वे निम्न प्रकार हैं : (१) आधुनिक विज्ञान के अनुसार हम जिस पृथ्वी पर रहते हैं, वह नारंगी के आकार की गोल है । इसकी त्रिज्या ३२६० मील है, व्यास ७६२० मील है, परिधि २४८५१ मील है, क्षेत्रफल १६,७०,६१,२५८ वर्ग (प्रतर) मील है, तथा घनफल २,६०,१२,०८,६०,८७६ घनमील है । मकर वृत्त तथा कर्कवृत्त का अन्तर ३२४८ मील है। पृथ्वी की परिक्रमा चन्द्र २,३६,००० मील की दूरी पर करता है, तथा सूर्य की परिक्रमा चन्द्रसहित पृथ्वी ६३४१० मील की दूरी पर करती है, सौरवर्ष ३६५१ दिन का होता है तथा चन्द्रवर्ष ३५४ दिन का होता है । अहोरात्र २४ घण्टे की होती है । इस सिद्धान्त में एक ही सूर्य व एक ही चन्द्र हैं। ___ सूर्य का व्यास लगभग ८६५ हजार मील है, उसमें द्रव्य की मात्रा २२४१०२६ (यानी बाईस के बाद छब्बीस शून्य) टन है, अर्थात् सूर्य में पृथ्वी के मुकाबले ३३३४३४ गुनी अधिक मात्रा है । दस लाख से भी अधिक पृथ्वियां सूर्य के घेरे में ढूंसकर भरी जा सकती हैं। सूर्यतल पर का गुरुत्वाकर्षण पृथ्वीतल के गुरुत्वाकर्षण से २८ गुना है यानी १८० पौंड वजन वाला मनुष्य यदि सूर्य की सतह पर खड़ा हो जाए तो उसका वजन ५०४० पौंड हो जाएगा। सूर्य पृथ्वी से लगभग ६ नौ करोड़ ३० तीस लाख मील की दूरी पर है। प्रकाश की गति १ लाख ८६ हजार मील प्रति सेकण्ड है, इस चाल से चलकर सूर्य का प्रकाश लगभग ८ आठ मिनिट में पृथ्वी तलपर पहुँचता है । सूर्य की गरमी सूक्ष्म रूप में पृथ्वी के अंश अंश में व्याप्त हो जाती है । इसी से जीवनदायिनी वर्षा होती है । खेतों में अनाज पकता है । जीवन बनाए रखने के लिए एक के बाद दूसरी ऋतुएँ बदलती हैं । पृथ्वी पर जीवन का उद्भव व अस्तित्व सभी सूर्य पर निर्भर है। प्राणी सूर्य द्वारा दी गई शक्ति को अपने अन्दर प्राप्त करते हैं और उसी के उपयोग से जीते हैं। पृथ्वी के चतुर्दिक घूमते हुए चन्द्रमा जब पृथ्वी और सूर्य के बीच में इस तरह आ जाता है कि सूर्य थोड़ी देर के लिए दिखाई न दे तो उसे सूर्यग्रहण कहते हैं । (२) भारतीय पंचांग के अनुसार सबसे बड़ा दिन १६३ मुहूर्त का होता है तथा सबसे छोटा दिन १३३ मुहूर्तका होता है । सूर्य १३ अप्रेल को मेष राशि तथा अश्विनी नक्षत्र में प्रवेश करता है । १६ अगस्त को मघा नक्षत्र तथा सिंह राशि में प्रवेश करता है तथा १५ दिसम्बर को मूल नक्षत्र तथा धनुष्य राशि में प्रवेश करता है । मकर संक्रान्ति १४ जनवरी को होती है । चन्द्र १२ मास के ३५४ दिन में १३ तेरह बार १२ बारह राशि व २७ सत्ताईस नक्षत्रों को Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012012
Book TitlePushkarmuni Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni, A D Batra, Shreechand Surana
PublisherRajasthankesari Adhyatmayogi Upadhyay Shree Pushkar Muni Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1969
Total Pages1188
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size39 MB
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