SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 532
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ स्वप्न शास्त्र : एक मीमांसा ४८६ . . ... .. + + + + + + +++++++ ++ ++++++++++ प्राचीन आचार्यों ने शुभ स्वप्नों की एक तालिका देते हुए बताया है-देवता, बांधव, पुत्र, उत्सव, गुरु, छत्र, कमल आदि देखना दुर्ग, हाथी, मेघ, वृक्ष, पर्वत, महल पर चढ़ना, समुद्र का तरना, सुरा, अमृत दूध व दही का पीना, चन्द्र व सूर्य का ग्रहण-ये स्वप्न देखना शुभ है । २२ भगवती सूत्र में बहत्तर प्रकार के स्वप्न की चर्चा है जिसमें ४२ स्वप्न जघन्य (साधारण या अशुभ) बताये है और ३० स्वप्न उत्तम (शुभ या उत्कृष्ट) बताये हैं । २३ बयालीस जघन्य स्वप्न इस प्रकार हैं१. गंधर्व १५. बिल्ली . . . २६. कलह २. राक्षस १६. श्वान ३०. विविक्त दृष्टि ३. भूत १७. दौस्थ्य (दुखी होना) ३१. जलशोष ४. पिशाच १८. संगीत ३२. भूकम्प ५. बुक्कस १९. अग्नि-परीक्षा (अग्निस्नान) ३३. गृहयुद्ध ६. महिष २०. भस्म (राख) ३४. निर्वाण ७. सांप २१. अस्थि ३५. भंग ८. वानर २२. वमन ३६. भूमंजन ६. कंटक वृक्ष २३. तम ३७. तारापतन १०. नदी २४. दुःस्त्री ३८. सूर्यचन्द्र स्फोट (धब्बे) ११. खजूर २५. चर्म ३६. महावायु १२. श्मशान २६. रक्त ४०. महाताप १३. ऊँट २७. अश्म (पत्थर) ४१. विस्फोट १४. गर्दभ २८. वामन ४२. दुर्वाक्य प्राचीन स्वप्न-शास्त्र के अनुसार उक्त प्रकार के या उनसे मिलते-जुलते इसी प्रकार के अशुभ दर्शन कराने वाले स्वप्न अशुभ के सूचक होते हैं । अगर स्त्री गर्भाधारण के समय ऐसे स्वप्न देखती है तो कुपुत्र या दुखदायी संतान को जन्म देती है। अगर पुरुष यात्रा आदि के समय इनमें से कोई स्वप्न देखता है तो यात्रा असफल तथा त्रासदायी होती है, मृत्यु भी संभव है । अशुभ स्वप्न देखने के बाद उसकी निवृत्ति हेतु तुरन्त उठकर इष्ट स्मरण करना चाहिए और वापस नींद ले लेना चाहिए ताकि अशुभ स्वप्न का कुफल मंद हो जाय । भगवती सूत्र में ही गौतम स्वामी के उत्तर में भगवान ने तीस उत्तम स्वप्नों (महास्वप्नों) का वर्णन किया है। उत्तम स्वप्न इस प्रकार हैं१. अर्हत् ११. गौरी २१. सरोवर २. बुद्ध १२. हाथी २२. सिंह ३. हरि १३. गौ २३. रत्नराशि ४. कृष्ण १४. वृषभ २४. गिरि ५. शंभु १५. चन्द्र २५. ध्वज ६. नृप १६. सूर्य २६. जलपूर्ण कुंभ ७. ब्रह्मा १७. विमान २७. पुरीष (विष्ठा) ८. स्कंद १८. भवन २८. मांस ६. गणेश १६. अग्नि २६. मत्स्य १०. लक्ष्मी २०. समुद्र ३०. कल्पद्रुम उक्त ३० स्वप्न या इसी प्रकार को शुभ वस्तु का अन्य कोई स्वप्न आये तो उसे शुभ सूचक माना गया है। स्वप्न-शास्त्र के अनुसार तीर्थकर या चक्रवर्ती की माताएँ उक्त तीस स्वप्नों में से कोई चौदह स्वप्न देखती है। परम्परागत मान्यता के अनुसार तीर्थंकर की माता निम्न १४ स्वप्न देखती है। भगवान ऋषभदेव की माता मरुदेवा ने भी ये ही स्वप्न देखे और भगवान महावीर की माता त्रिशलादेवी ने भी इसी प्रकार के १४ स्वप्न देखे । यहाँ १४ स्वप्न और स्वप्नपाठकों द्वारा बताया गया उनका शुभफल प्रस्तुत है Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012012
Book TitlePushkarmuni Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni, A D Batra, Shreechand Surana
PublisherRajasthankesari Adhyatmayogi Upadhyay Shree Pushkar Muni Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1969
Total Pages1188
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size39 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy