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________________ द्वितीय खण्ड : जीवनदर्शन १८७ . प्रतिभामूति महासती श्रीप्रभावती जी आपका जन्म उदयपुर राज्य के गोगुन्दा ग्राम में हुआ। आपके पिता श्री का नाम सेठ हीरालाल जी और मातेश्वरी का नाम श्रीमती प्यारीबाई था। वि० सं० १९७० (सन् १९१३) श्रावणकृष्णा पंचमी को आपका जन्म हुआ। आपका पाणिग्रहण उदयपुर के जीवनसिंह जी वरडिया के साथ (सन् १९२८ में) सम्पन्न हुआ। परम विदुषी महासती श्री सोहनकुवर जी के पावन प्रवचन को श्रवण कर आपके अन्तर्मानस में वैराग्य भावना जागृत हुई । और वि० सं० १९६७ (सन् १९४१) आषाढ़ सुदी तीज को आपने दीक्षा ग्रहण की। आपके पुत्र देवेन्द्र मुनिजी और पुत्री पुष्पवती जी दीक्षिता हैं । आपको अनेक जैनआगम कण्ठस्थ हैं और तीन सौ थोकडे भी याद हैं। आप विलक्षण प्रतिभा की धनी हैं। आपका प्रवचन बहुत ही मधुर व प्रभावोत्पादक होता है। महासती उमरावकुंवर जी __ आपका जन्म बाड़मेड़ जिले के गढ़सिवाना में सं० १९६६ श्रावण वदी एकम (१९०६) में हुआ। आपके पिता का नाम दौलतराम जी कानूगा और माता का नाम छोगीबाई था। आपका गृहस्थाश्रम का नाम गौरीबाई था। आपका विवाह वि० सं० १९६० आषाढ़ कृष्णा नवम की सागरचन्द जी बागरेचा के सुपुत्र गणेशमल जी बागरेचा के साथ सम्पन्न हुआ। महासती हरकू जी के उपदेश को सुनकर वि० सं० १९६३ (१९३६) के महाबदी पंचमी को आपने दीक्षा ग्रहण की। आपकी प्रकृति सरल व भद्र है। आपके चौपाई और व्याख्यान देने की शैली सुन्दर है। महासती सीता जी आपका जन्म बाड़मेड़ जिले के कोरणा ग्राम में हुआ। आपकी दीक्षा वि० सं० १९६४ (सन् १९३७) में मार्गशीर्ष पंचमी को महासती दीपाजी के पास सम्पन्न हुई। आपका स्वभाव सरल व मिलनसार है। महासती मोहनकुवर जी आपका जन्म उदयपुर राज्य के गोगुन्दा ग्राम में हुआ। आपके पिता का नाम जोधराजजी छाजेड़ और माता का नाम रतनबाई था। आपका विवाह गोगुन्दा निवासी मोतीलाल जी हरकावत के साथ हुआ। आपने महासती शंभु कुवर जी के उपदेश को सुनकर वि० सं० १९६५ (सन् १९३८) वैशाख बदी १ को दीक्षा ग्रहण की। आपके चौपाई आदि वाचन करने की शैली सुन्दर है। महासती श्री वल्लभ कुवर जी आपकी जन्मभूमि उदयपुर जिले का जसवन्तगढ़ है । आपका जन्म वि० सं० १९६८ में हुआ। आपकी माता का नाम प्यारीबाई और पिता का नाम धनराज जी था । आपने महासती श्री लहर कुंवर जी के उपदेश को सुनकर वि० सं० १९६५ (सन् १९३८) आषाढ़ सुदी तेरस को जशवन्तगढ़ में दीक्षा ग्रहण की। आप बहुत ही सरल स्वभाव वाली और सेवाभाविनी सती हैं। महासती श्री शकुना जो आपका जन्म बाड़मेड़ जिला के गढ़सिवाना ग्राम में हुआ। आपकी दीक्षा पादरू ग्राम में महासती श्रीदीपाजी के पास सम्पन्न हुई। आप सेवाभावी महासती हैं। महासती शकुन कुंवर जी - आपका जन्म बाड़मेड़ जिला के पादरू ग्राम में वि० सं० १९७४ (सन् १९१७) श्रावण बदी पांचम को हुआ। आपके पिता श्री का नाम ओजराज जी संकलेचा और मातेश्वरी का नाम मंगनीबाई है। आपका नाम कंकू बाई रखा गया। आपका विवाह १९८७ पौष सुदी सप्तम को पादरू निवासी बुद्धमल जी श्री श्रीमाल के सुपुत्र गोबीराम जी के साथ हुआ था । आपके एक पुत्र भी हुआ जिसका नाम घेवरचन्दजी है। आपने महासती हरकू जी के उपदेश सुनकर वि० सं० १९९४ (सन् ४६३७) में वैशाख शुक्ला सप्तमी को पादरू ग्राम में दीक्षा ली। आप सेवाभावी हैं। आप शास्त्र और चौपाई पर मधुर प्रवचन करती हैं। महासती पाना जी आपका जन्म गढ़ जालौर में हुआ । और महासती हरखु जी समदा जी के उपदेश से प्रभावित होकर आपने गढ़सिवाना में वि० सं० २००४ (सन् १९४७) में दीक्षा ली । आप सरल प्रकृति की सती हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012012
Book TitlePushkarmuni Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni, A D Batra, Shreechand Surana
PublisherRajasthankesari Adhyatmayogi Upadhyay Shree Pushkar Muni Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1969
Total Pages1188
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size39 MB
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