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________________ परिशिष्ट आस्था रही है एवं पूज्य आचार्यसम्राट् श्री देवेन्द्र मुनि जी म. सा. के प्रति आपकी अनंत आस्था है। प्रस्तुत ग्रंथ हेतु आपका आर्थिक अनुदान प्राप्त हुआ, तदर्थ हार्दिक आभारी। श्री कनकमल जी सा. सिंघवी : बदनावर पुरुषार्थ के द्वारा व्यक्ति भाग्य को भी परिवर्तित कर सकता है। पुरुषार्थ एक ऐसा पारस पत्थर है जिसके स्पर्श से जीवनरूपी लोहा स्वर्ण में परिवर्तित हो जाता है। कनकमल जी सा. सिंघवी ऐसे ही प्रबल पुरुषार्थ के धनी व्यक्ति रहे हैं। आपकी जन्मभूमि मध्य प्रदेश के बदनावर में रही। आपके पूज्य पिताश्री का नाम सौभागमल जी सिंघवी और मातेश्वरी का नाम राणीबाई था। माता-पिता के संस्कारों से आपके जीवन में निखार आया आप छह भाई हैं समर्थमल जी सा., सुरेन्द्रमल जी, चाँदमल जी, उमरावमल जी और दिलीपकुमार जी तथा दो बहिनें हैं- सोहनबाई और मंजुलाबाई । आपकी धर्मपत्नी का नाम बदामबाई है। आपके तीन सुपुत्र हैंप्रमोदकुमार, प्रवीणकुमार तथा पंकजकुमार और एक पुत्री हैसुनीतादेवी । आपका व्यवसाय स्कूल एवं कॉलेज की पुस्तक प्रकाशन का है- "संघवी प्रकाशन", "सफलता प्रकाशन", "संघवी डिस्ट्रीब्यूटर्स", "संघवी प्रिन्टर्स” आदि सत्साहित्य के प्रति आपकी अभिरुचि रही है तथा उसके प्रचार और प्रसार के लिये आप अपने प्रकाशनों के माध्यम से जन-जन तक पहुँचाने का प्रयास करते रहते हैं। श्रद्धेय उपाध्याय श्री पुष्कर मुनि जी म. के प्रति आपकी अनन्य आस्था रही है। प्रस्तुत ग्रंथ में आपका सहयोग प्राप्त हुआ, तदर्थ हार्दिक आभारी श्री भंवरलाल जी डांगी (सिंघवी) मद्रास मेवाड़ की पावन पुण्य धरा में जन्म लेने वाले भंवरलाल जी डांगी ने अपने प्रबल पुरुषार्थ से मद्रास में अपनी एक प्रतिष्ठा प्राप्त की है आपके पूज्य पिताश्री का नाम जोरावलमल जी सा. और मातेश्वरी का नाम राणीबाई है। आप चार भाई है-भंवरलाल जी. सोहनलाल जी, जीतमल जी और ताराचंद जी आपके दो बहिनें हैं- नाथीबाई और शिक्षाबाई। आपकी धर्मपत्नी का नाम मीराबाई है Cas 事 ६८३ जो बहुत ही धर्म-परायणा सुश्राविका हैं। आपके विमलकुमार और महेशकुमार ये दो पुत्र हैं। आपका व्यवसाय केन्द्र " श्री मुरली साड़ी सेन्टर" के नाम से मद्रास में है। आप परम श्रद्धेय श्री पुष्कर मुनि जी म. सा. के अनंत आस्थावान / श्रद्धावान रहे हैं। प्रस्तुत ग्रंथ के प्रकाशन हेतु आपका आर्थिक अनुदान प्राप्त हुआ, तदर्थ हार्दिक आभारी। श्री चमनलाल जी जैन दिल्ली आप एक बहुत ही उत्साही सुश्रावक है। पाकिस्तान बनने के पूर्व आप रावलपिण्डी में रहते थे। आजादी के बाद आप दिल्ली में रह रहे हैं। आप अरिहंत नगर के प्रधान भी हैं। आपके पूज्य पिताश्री का नाम उत्तमचंद जी और मातेश्वरी का नाम दिवानदेवी था। आपकी धर्मपत्नी का नाम विमलादेवी है। आपके एक पुत्र हैं जिनका नाम प्राणेश है। उनकी धर्मपत्नी का नाम मंजूदेवी है। उनके एक पुत्र भुवनेश है और तीन पुत्रियाँ हैं-शिखा, श्वेता और सुभी। आप वस्त्र के व्यापारी हैं। श्रद्धेय उपाध्यायश्री के प्रति आपकी अपार आस्था थी । प्रस्तुत ग्रंथ में आपका हार्दिक अनुदान प्राप्त हुआ, तदर्थ साधुवाद। श्री प्रेमचंद जी नगीनादेवी जी तातेड़ : दिल्ली धर्मानुरागिनी श्रीमती नगीनादेवी जी एक धर्म-परायणा महिला हैं आपके पूज्य पिताश्री का नाम शेरसिंह जी सुराणा और मातेश्वरी का नाम देवतीदेवी है। १३ वर्ष की लघुवय में आपका पाणिग्रहण प्रेमचंद जी सा. तातेड़ के साथ हुआ। लघुवय में ही पति का स्वर्गवास हो गया। तब जगन्नाथ जी तातेड़ के सुपुत्र पूनमचंद जी तातेड़ को आपने दत्तक पुत्र के रूप में रखा। पूनमचंद जी की धर्मपत्नी का नाम श्रीमती उमा तातेड़ है। पूनमचंद जी के गौतम और रवि ये दो सुपुत्र हैं तथा नीलम व तारिका ये दो सुपुत्रियाँ हैं। गौतम जी की धर्मपत्नी का नाम अंजुदेवी है। परम श्रद्धेय उपाध्याय श्री के प्रति आपकी अनंत आस्था थी। आपके व्यवसाय का नाम "प्रेमचंद पूनमचंद जैन" १५, नया मारवाड़ी कटला, नई दिल्ली - ६ है। प्रस्तुत ग्रंथ में आपका सहयोग प्राप्त हुआ, तदर्थ हार्दिक आभारी। For Private & Personal Use Only 330 事 ww
SR No.012008
Book TitlePushkarmuni Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni, Dineshmuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1994
Total Pages844
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size105 MB
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