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________________ AL 900 2000 Gà 9 16.00000.03460:06.0. 0UOTES 20 21 22 23 24 2 5 26 27 परिशिष्ट ६७९ । 600:00 पिताश्री का नाम माणकचंद जी सा. और मातेश्वरी का नाम तातेड़। परम्परा के सुसंस्कार इनके जीवन के कण-कण में व्याप्त सर्वतीदेवी था। आप तीन भाई हैं-फूलचंद जी, कमलचंद जी और । हैं। तातेड़ परिवार हमेशा ही संपन्न रहा है और बहुविद सेवा के ज्ञानचंद जी तथा दो बहिनें हैं-पद्माबाई और निर्मलाबाई। क्षेत्र में सक्रिय भाग लेता रहा है। ज्ञानचंद जी का पाणिग्रहण ब्यावर निवासी हीरालाल जी बोहरा श्री किशनचंद जी तातेड़ की धर्मपत्नी नगीनादेवी जी बहुत ही की सुपुत्री धर्मानुरागिनी सौ. प्रसन्नकुंवर जी के साथ संपन्न हुआ। धर्म-परायणा विवेकशीला सुश्राविका हैं। सेवा जिनका विशेष गुण प्रसन्नदेवी बहुत ही उदार महिला थीं। आपके दो सुपुत्र हैं-राजीव रहा है। परम श्रद्धेय उपाध्याय श्री पुष्कर मुनि जी म. के प्रति और भाष्कर। आपकी अनन्य आस्था रही है और श्रद्धेय आचार्यश्री के प्रति भी राजीव जी की धर्मपत्नी का नाम बबीता है। आपका पूरा परिवार अनंत आस्था लिए हुए है। प्रस्तुत स्मृति-ग्रंथ ज्ञानचंद जी के चार सुपुत्रियाँ हैं-सौ. मंजु, सौ. प्राची, सौ. के प्रकाशन में आपका अपूर्व योगदान प्राप्त हुआ, तदर्थ साधुवाद। नवरंग और सौ. बबीता। श्री हिम्मतलाल जी हींगड़ : मोही आपकी उपाध्याय श्री पुष्कर मुनि जी म. के प्रति अनन्य आस्था थी। प्रस्तुत ग्रन्थ के प्रकाशन में आपका हार्दिक अनुदान आपके पूज्य पिताश्री का नाम गणेशीलाल जी सा. हींगड़ है। प्राप्त हुआ, तदर्थ हार्दिक साधुवाद। आपकी फर्म का नाम है। आपकी जन्म-स्थली मोही जिला राजसमन्द (राजस्थान) है। "माणकचंद जैन गोटे वाला" किनारी बाजार, दिल्ली। राजसमन्द ब्लॉक काँग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष, मार्केटिंग सोसायटी, कांकरोली के अध्यक्ष, उदयपुर सेन्ट्रल को-ऑपरेटिव बैंक लि. के श्री नन्दलाल जी लोढ़ा : बगडून्दा उपाध्यक्ष, साधन क्षेत्र विकास समिति, राजसमन्द के फाउण्डर, ट्रस्टी अरावली की पहाड़ियों में बसा हुआ बगडून्दा एक नन्हा-सा । एवं मंत्री, लायन्स क्लब, कांकरोली के अध्यक्ष व ई-३०२ के जोन गाँव है किन्तु इस गाँव की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहाँ के चेयरमैन तथा अन्य जिला व राज्यस्तरीय संस्थाओं में रहे हैं। अब श्रद्धालुगण सदा ही धर्मनिष्ठ रहे हैं। इस गाँव में से अनेक दीक्षाएँ भी ग्राम सेवा संघ, मोही के संस्थापक एवं मंत्री, राजसमन्द चेम्बर हुई हैं। कविसम्राट् श्री नेमीचंद जी म. इसी गाँव के थे और लोढ़ा ऑफ कॉमर्स एवं इण्डस्ट्री के फाउण्डर व अध्यक्ष, राजसमन्द मार्बल परिवार के थे, जो आशु कवि थे जिनकी रचना नेमवाणी के रूप एवं खनिज उत्पादक संघ के अध्यक्ष, भारतीय रेडक्रास सोसायटी, में प्रकाशित हुई है। उसी लोढ़ा परिवार के जगमगाते नक्षत्र हैं राजसमन्द के संरक्षक, कल्पतरु सोसायटी के फाउण्डर व अध्यक्ष हैं। नन्दलाल जी सा. लोढ़ा। आपके पूज्य पिताश्री का नाम कस्तूरचंद सन् १९५८ से व्यापार शुरू किया। सन् १९७४ में मार्बल जी और मातेश्वरी का नाम सुन्दरबाई तथा धर्मपत्नी का नाम । माइन्सग्राम तलाई से लेकर सर्वप्रथम कार्य शुरू किया। सन् १९७७ धर्मानुरागिनी रोशनबाई है। में मार्बल फैक्ट्री लगाई। उदयपुर जिला व राजसमन्द जिले में आपके परिवार में सदा से ही धार्मिक संस्कार फलते-फूलते रहे मार्बल की खानें व उद्योग लगवाने में, मंडी बनाने में, व्यापार हैं। संतों के प्रति भक्ति और ज्ञान दर्शन तप की आराधना करने में बढ़ाने में पूरा-पूरा योगदान दिया। इस क्षेत्र में मार्बल के जन्मदाता आपका परिवार कभी पीछे नहीं रहता। स्व. पूज्य गुरुदेव उपाध्याय । हुए एवं कठिन परिश्रम कर मार्बल की मंडी बनाई। सारा जीवन श्री पुष्कर मुनि जी म. सा. के प्रति आपके समस्त परिवार की संघर्ष में बीता। मार्बल के विकास में हमेशा संघर्ष किया। अपार आस्था भक्ति रही है। वही आचार्यसम्राट् के प्रति आज भी श्री हंसराज जी जैन : दादरी है। प्रस्तुत ग्रंथ हेतु आपका अनुदान प्राप्त हुआ, तदर्थ हार्दिक आभारी। श्री हंसराज की जैन एक बहुत ही धर्मनिष्ठ सुश्रावक हैं। श्रीमती नगीनाबाई किशनलाल जी तातेड़ : दिल्ली आपके पूज्य पिताश्री का नाम हीरालाल जी जैन और मातेश्वरी का नाम प्रसन्नदेवी जैन है। आपकी धर्मपत्नी का नाम शांतिदेवी जैन है। दिल्ली की परिगणना भारत के महानगरों में की गई है। यह आपके एक पुत्र है जिसका नाम पंकज है। आपके पाँच पुत्रियाँ हैंवर्षों से भारत की राजधानी रही है। इस महानगरी का निर्माण । श्रीमती शशि, श्रीमती मधु, श्रीमती सरोज, श्रीमती सुरेखा और किसने किया इस संबंध में विज्ञों के अनेक मत हैं पर यह सत्य है } श्रीमती बबीता। आप हरियाणा में दादरी के निवासी हैं। श्रद्धेय कि दिल्ली अतीतकाल से ही जन-जन के आकर्षण का केन्द्र रही है।। आचार्यश्री के प्रति आपकी अपार आस्था है। उपाध्यायश्री के देहली के ओसवाल वंशीय तातेड़ गोत्रिय सेठ देवीचंद जी अपने स्मति-ग्रंथ हेत आपका हार्दिक अनदान पैदा हुआ. तदर्थ हार्दिक युग के एक जाने-माने व्यापारी थे। उनके सुपुत्र श्री अमरसिंह जी । आभारी। थे जिन्होंने युवावस्था में संयम साधना के पथ पर अपने मुस्तैदी श्री चन्द्रेश जी जैन : लुधियाना कदम बढ़ाकर जैन शासन की महिमा और गरिमा में अपूर्व अभिवृद्धि की तथा जैनाचार्य के रूप में उनकी सर्वत्र ख्याति रही है। श्री चन्द्रेश जी जैन एक युवक हैं और युवकोचित उनमें जोश और राजस्थान में मारवाड़ में स्थानकवासी धर्म के वे प्रथम भी है, होश भी है और कार्य करने की लगन भी है। इनके पूज्य प्रचारक रहे हैं उसी परम्परा में जन्मे हैं सेठ किशनचंद जी सा. पिताश्री का नाम शोरीलाल जी जैन और मातेश्वरी का नाम 8000001030nAD 00:00 20000 2018 एएमय गणना Fo DODSD.00.00DOORDSDOBSAND
SR No.012008
Book TitlePushkarmuni Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni, Dineshmuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1994
Total Pages844
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size105 MB
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