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________________ DDDDD परिशिष्ट ६७१। श्री देवराज जी सा. मेहता : जयपुर जी के एक बहिन भी है जिसका नाम विमलादेवी है। दर्शनकुमार जी और उनका पूरा परिवार परम श्रद्धेय उपाध्यायश्री के प्रति भांवरी (राजस्थान) का मेहता परिवार सदा ही धर्म के क्षेत्र में, अनन्य आस्थावान रहा है। वे परम गुरुभक्तों में से रहे हैं। आपके सामाजिक क्षेत्र में और राजनीतिक क्षेत्र में अगुवा रहा है। श्री सद्प्रयास से डेरावाल नगर में "श्री पुष्कर गुरु धर्म स्थानक" का देवराज जी मेहता भी उसी भांवरी के निवासी हैं और वर्तमान में निर्माण हुआ है। प्रस्तुत ग्रन्थ में आपका अनुदान प्राप्त हुआ, तदर्थ आपका व्यवसाय केन्द्र जयपुर और कलकत्ता होने से जयपुर में रह हार्दिक साधुवाद। रहे हैं। आपके पूज्य पिताश्री का नाम वस्तीमल जी मेहता और मातेश्वरी का नाम सारीबाई मेहता था। आपके ज्येष्ठ भ्राता श्री आर. डी. जैन : दिल्ली अन्नराज जी मेहता थे। मनोहरबाई, विमलाबाई, सुखीबाई और श्रमण भगवान महावीर प्रभु ने एक बार अपने मंगलमय लीलाबाई आपकी बहिनें हैं। आपकी धर्मपत्नी का नाम कुशालदेवी प्रवचन में कहा कि कितने ही बादल गरजते हैं पर बरसते नहीं, है। आपके छह पुत्र हैं-उगमराज जी, अशोककुमार जी, कितने ही बादल बरसते हैं पर गरजते नहीं, कितने ही बादल न किशोरकुमार जी, राजेन्द्रकुमार जी, रमेशकुमार जी और बरसते हैं और न गरजते हैं और कितने ही बादल बरसते भी हैं नवरतनकुमार जी। और गरजतें भी हैं। इसी प्रकार चार तरह के मानव हैं-कुछ मानव उगमराज जी की धर्मपत्नी का नाम गुलाबदेवी है। उनके रोहित केवल बातों के बादशाह होते हैं पर देने-लेने के नाम पर कुछ भी एक पुत्र और शिप्रा और स्वाती दो पुत्रियाँ हैं। नहीं होते, कुछ देते हैं पर बोलते नहीं हैं, कुछ देते भी नहीं और अशोककुमार जी की धर्मपत्नी का नाम सुशीलादेवी है। उनके बोलते भी नहीं और कुछ देते भी हैं और बोलते भी हैं। श्री आर. दो पुत्रियाँ हैं-मानसी और रक्षिका। डी. जैन एक ऐसे व्यक्ति हैं जो देते हैं पर बोलते नहीं हैं। उनका विश्वास काम करने में है बातों में नहीं। आपका मूल निवास खट्टा किशोरकुमार जी की धर्मपत्नी का नाम आशादेवी है। उनके एहलादपुर जो मेरठ जिले में अवस्थित है। १९ वर्ष से आप दिल्ली पुत्र का नाम भविक है। में व्यवसाय हेतु पधारे। आपके पूज्य पिताश्री का नाम तारीफसिंह राजेन्द्रकुमार जी की धर्मपत्नी का नाम अल्पनादेवी है, पुत्री का वाह, पुत्रा का जी जैन और मातेश्वरी का नाम इमृतीदेवी जैन है। आप तीन भाई नाम महिका है। हैं स्व. रोशनलाल जी और सूर्यसिंह जी। आपके एक बहिन है रमेशकुमार जी की धर्मपत्नी का नाम अल्कादेवी है। जिसका नाम मायादेवी जैन है। आपके दो सुपुत्र हैं और एक पुत्री आपका व्यवसाय रेलवे स्प्रिंग का जयपुर में है और कलकत्ता । है। पहले पुत्र श्री योगेन्द्र जी उनकी धर्मपत्नी का नाम लता है। में आपके कई फैक्ट्रीयाँ हैं। आपका पूरा परिवार परम श्रद्धेय । उनके पुत्र का नाम ऋषभ और पुत्री का नाम राखी है तथा दूसरे सद्गुरुदेव उपाध्याय श्री पुष्कर मुनि जी म. के प्रति अनंत पुत्र अरुण हैं उनकी धर्मपत्नी का नाम दीपा है। उनके पुत्र का नाम आस्थावान रहा है और आचार्यश्री के प्रति भी आस्थावान है। अखिल जैन और पुत्री का नाम आशीता जैन है। आपश्री की पुत्री प्रस्तुत ग्रंथ हेतु आपका अनुदान प्राप्त हुआ, तदर्थ हार्दिक साधुवाद।। का नाम सौ. रीता जैन है। आपने अपनी योग्यता एवं उदारता और कर्मठ कार्य-शक्ति के कारण सेवा और सद्भावना के कारण आप श्री दर्शनकुमार जी जैन : दिल्ली दिल्ली प्रदेशिय कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष एवं अ. भा. स्था. जैन कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष हैं। अनेक संस्थाओं के आप सम्माननीय पदाधिकारी भगवान महावीर ने कहा-"कुछ बादल बरसते हैं पर गजरते हैं। परम श्रद्धेय सद्गुरुवर्य उपाध्याय श्री पुष्कर मुनि जी म. और नहीं, कुछ व्यक्ति उदार होते हैं किन्तु उदारता का प्रदर्शन नहीं आचार्यसम्राट् श्री देवेन्द्र मुनि जी म. के प्रति आपकी अनंत आस्था करते।" दर्शनकुमार जी बहुत ही उदार हृदय के धनी व्यक्ति हैं। आपका मूल निवास स्थान सियालकोट था। पाकिस्तान बनने के रही है। प्रस्तुत ग्रंथ के प्रकाशन में आपका अनुदान प्राप्त हुआ, पश्चात् आप दिल्ली, डेरावाल नगर में आकर रहने लगे। आपके तदर्थ हार्दिक आभारी। पूज्य पिताश्री का नाम दिलाराम जी जैन और मातेश्वरी का नाम श्री श्यामसुन्दर जी बर्डिया : उदयपुर श्रीमती देवकीरानी जैन है। आप पाँच भाई थे चंदनलाल जी, उदयपुर को मेवाड़ की राजधानी होने का गौरव प्राप्त है। इस मदनलाल जी, स्व. शांतिप्रकाश जी, स्व. सुशीलकुमार जी। आपकी नगरी की अपनी अनूठी विशेषताएँ रही हैं। जहाँ महाराणा देश की धर्मपली का नाम सौ. पुष्पारानी है। आपके दो सुपुत्र हैं आजादी के लिए जूझते रहे वहाँ पर वहाँ के निवासियों में भी सदा विपिनकुमार जी और अभिनन्दनकुमार जी तथा एक पुत्री है-सौ. ही आजादी के परवाने बनकर जीते रहे, परतंत्रता के समान कोई डोली जैन। दुःख नहीं और स्वतंत्रता के समान कोई सुख नहीं। जीओ पर विपिनकुमार जी की धर्मपत्नी का नाम वीणादेवी है। आपके स्वतंत्र बनकर जीओ, परतंत्र बनकर आँसू बहाते हुए जीना कोई एक पुत्र और एक पुत्री हैं-नितिन और निधि। जीवन नहीं है। श्री श्यामलाल जी बर्डिया को ये पवित्र संस्कार अभिनन्दनकुमार जी की धर्मपत्नी का नाम मीनूदेवी और पुत्र परम्परा से ही प्राप्त हुए थे। यही कारण है कि वे वर्षों से प्रारंभ से का नाम हितेश है। "जनरल स्टोर" का व्यवसाय है। दर्शनकुमार ही "राष्ट्रीय स्वयं सेवक" के कर्मठ कार्यकर्ता रहे और आज भी ago ALLECORDNDOLESO 40.0 2010 500RROR - 1000 PN-DDA 27209380000000000000.6.
SR No.012008
Book TitlePushkarmuni Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni, Dineshmuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1994
Total Pages844
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size105 MB
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