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________________ ( १५ ) ३०१ ३०८ ३१४ ३२२ ३२८ ३३२ जैन दर्शन में जनतान्त्रिक सामजिक चेतना के तत्त्व -डा० नरेन्द्र भानावत एम. ए. पी-एच डी. जैन धर्म के आधार भूत तत्व : एक दिग्दर्शन -श्री भगवती मुनि 'निर्मल' जैन दर्शन में भावना विषयक चिन्तन -डॉ० (श्रीमती) शान्ता भानावत एम. ए. पी-एच. डी. जैन धर्म में आचार -श्री रिषभदास रांका निक्षेपवाद : एक अन्वीक्षण श्री रमेश मुनि शास्त्री। जैन दर्शन में नैतिकता की सापेक्षता और निरपेक्षता -डाँ० सागरमल जैन एम. ए. पी-एच. डी. अन्तर्राष्ट्रीय समस्याओं का समाधान : स्याद्वाद -श्री अजीत मुनिजी 'निर्मल' अनेकान्त दर्शन -प्राचार्य उ० भा० कोठारी प्राकृत भाषा के ध्वनि परिवर्तनों की भाषा वैज्ञानिक व्याख्या -डॉ० देवेन्द्र कुमार जैन आदर्श गृहस्थ बनाम श्रावक धर्म -कुमारी राजल बोथरा भगवान अरिष्टनेमि की ऐतिहासिकता -श्री देवेन्द्र मुनि शास्त्री हमारे ज्योतिर्धर आचार्य श्री प्रतापमल जी महाराज (मेवाडभूषण) गुरु-परम्परा की गौरव गाथा -श्री प्रकाश मुनि पंचम खण्ड : जैन ज्योतिष जैन ज्योतिष साहित्य : एक दृष्टि -डॉ० तेजसिंह गौड़ एम. ए. पी-एच. डी. जैन ज्योतिष एवं ज्योतिषशास्त्री --लक्ष्मीचन्द जैन षष्ठ खण्ड उपाध्याय श्री कस्तूरचन्द जी महाराज के आज्ञानुवर्ती संत सती गण का सचित्र परिचय ३४१ ३४४ ३४८ ३५५ ३५८ ३७३ ३८१ ३६२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012006
Book TitleMunidwaya Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRameshmuni, Shreechand Surana
PublisherRamesh Jain Sahitya Prakashan Mandir Javra MP
Publication Year1977
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size10 MB
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