SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 129
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्री हीरा लाल जी महाराज का जन्मांक चक्रम् कोट जन्म संवत् १९६४, पौष शुक्ला प्रतिपदा, शनिवार पूर्वाषाढ़ा १६।५३ प्रवेश उत्तराषाढ़ा तृतीय चरण।इष्ट ४८।१८ । ४ बृ० ११श. ३रा. सूर्य स्पष्ट ८।२०, लग्न ६।२२ १२ नक्षत्रों की भाषा परिचय [प्रवर्तक श्री हीरालालजी महाराज का कुण्डली फलित-चक्रम्] जन्म-भूमि मंदसौर जहाँ कालिदास, 'भारवी, मालवरत्न कस्तूरचन्दजी महाराज, मालवकेसरी सौभाग्य मुनिजी का जन्म मध्य प्रदेश की पावन भूमि में हुआ है, इसी पावन भूमि में मुनिवर का जन्म हुआ है। पितामह ताराचन्दजी, पिता लक्ष्मीचन्दजी, मातृ नाम हगाम कुंवर था। मातापिता धार्मिक प्रवृत्ति के थे । 'यथापिता तथापुत्र:' की उक्ति सार्थक की । व्याघात योग में जन्म होने से गृहस्थाश्रम को व्याघात लगा अर्थात् श्रमण बने। पौष शुक्ला प्रतिपदा को आपका जन्म हुआ। इसी पुण्य तिथि को मेवाड़ के महाराणा संग्रामसिंहजी तथा ठाकूर गोपालशरणसिंह (कवि महोदय) का जन्म हुआ है। आपका जन्म व दीक्षा शनिवार को हुई । स्वर्गीय जैनाचार्य पूज्य गणेशलालजी महाराज साहब का जन्म भी शनिवार को हुआ है। पौष माह में जन्म लेने वाले महत्वाकांक्षी होते हैं। तुला लग्न में जन्म लेने वाला मातृपितृ-भक्त, पुण्यात्मा, ईश्वरोपासक, सत्य वक्ता, असत्य में सत्य की खोज करने वाला होता है। पूर्व-जन्म में आप ब्राह्मण पंडित थे। For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org - मदनमोहन जैन 'पवि' [ज्योतिष-मनीषी, कानोड़] Jain Education International
SR No.012006
Book TitleMunidwaya Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRameshmuni, Shreechand Surana
PublisherRamesh Jain Sahitya Prakashan Mandir Javra MP
Publication Year1977
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy