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________________ ३२ : श्री महावीर जैन विद्यालय सुवर्णमहोत्सव ग्रन्थ मुहचंद चंदिमाए तेसि सो देसणाए पाणेणं संतित्तो संजाओ अविवासो विसयविससलिलो ॥१५॥ तेरह सत्तरि वरिसे माहम्मि वलक्खि गारसी दिवसे। सिरि पट्टणंमि दिक्खा जिणचंद गुरुक्कमे तरस ॥ १६ ॥ सज्झाय पाठकालावग पंजिय कव्व भणण मेएणं मुणिचंदगणि समीपे लद्धिनिहाणेण परि रइयं ॥ १७ ॥ राइंदचंद नामगसूरि सयांसंमि तेण मन्हेहिं नाडग विज्जावि जाणंदालंकार वागरणा ॥१८॥ भणिया धम्म पयरण गणिया पमोणाणि सप्पमाणाणि मूलागमामहत्था बुलाई सुकुलाइं गहियाई ॥१९॥ निय बुद्धि कुसग्गेणं जेणाणेगंत जयपडागाए गुरु गिरि रयण गुहाए महत्व रयणाणि कडित्ता ॥२०॥ गुण गण गण रयण वण बीहीए ठाविऊण सयलाणि बुह बहु बुद्धि धणाणं सुमुणि जणाणं पयत्ताणि ॥ २१ ॥ दमयंती ए कहाए विसमाए कव्व कुसुममाला ए वासवदत्त कहाए सयंवराए ठियं तरस ॥ २२ ॥ कम्मप्पयडी पयड़ी कियाइ गहणत्य गहण तन्हा ए। जस्स न मूढा गूढा अइपूढा बुद्धि पट मूढा ।। २३ ॥ सिरिजिणकुसल सयासे नाय महातक खंडण सुतका सियवाय संवराय रवि सिट परिसिट्ठ तक्काय ॥ २४ ॥ अम्हेहि समं भणिया अणभणिया भाणिया विसम गंथा जेणंधिहण गुणेणं अच्छरियं आयरंतेण ॥ २५॥ खंति गुणं दंति गुणं कंतिगुणं जस्स सूरिणोकेय । धूणं धूणं सिरसं वन्नति नराय ठाणेसु ॥ २६ ॥ वयण कला वयण कला वयण कला जम्म जस्स सरिस वन्नकला सवण सुहा सवण सुहा सवण सुहातेण जह संखं ॥ २७ ॥ मण वयण तणु वित्तीओ जया तस्स वस्स वित्तीओ तन्नोचुज्ज चुज्जं जं सो तासिं वसेन ठिओ ॥२८॥ वसु वसु-सिहि ससि वरिसे मग्गसिरे सुद्धि गारसी दिवसे सुद्धविहि धम्म नरवर मूलपुरे देवरायपुरे ॥ २९ ॥ जिणकुसलसुरिसुहगुरू सुहस्थ कमलेण संघ समवाए अम्हाणं सूरिषय उवज्झाय पयं ठियं तस्स ॥ ३० ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012002
Book TitleMahavira Jain Vidyalay Suvarna Mahotsav Granth Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Jain Vidyalaya Mumbai
PublisherMahavir Jain Vidyalay
Publication Year1968
Total Pages950
LanguageGujarati
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size30 MB
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