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________________ आइन्स्टीन के मतानुसार हम केवल सापेक्ष सत्य वैज्ञानिक एवं सामाजिक दोनों तरह की समस्याओं का को जानते हैं; नित्य सत्य का ज्ञान तो सर्व विश्वदष्टा । अहिंसात्मक समाधान है। यह दर्शन आज की प्रजाको ही हो सकता है। तन्त्रात्मक शासन-व्यवस्था एवं वैज्ञानिक सापेक्षवादी चिन्तन के भी अनुरूप है। इस सम्बन्ध में सर्वपल्ली जैनदर्शन एकत्व एवं नानात्व दोनों को सत्य मानता है। अस्तित्व की दृष्टि से सब द्रध्य एक हैं, राधाकृष्णन का यह वाक्य कि "जैन-दर्शन सर्व साधारण को पुरोहित के समान धार्मिक अधिकार प्रदान अत: एकत्व भी सत्य है; उपयोगिता की दृष्टि से द्रव्य करता है" अत्यन्त संगत एवं सार्थक है । "अहिसा परमो अनेक हैं अतः नानात्व भी सत्य है। धर्मः" को चिन्तन-केन्द्रक मानने पर ही ससार युद्ध एवं वस्तु के गुण-धर्म चाहे नय-विषयक हो चाहे हिंसा का वातावरण समाप्त हो सकता है। आदमी के प्रमाण-विषयक, वे सापेक्ष होते हैं । वस्तु को अखण्ड भीतर की अशान्ति, उद्वेग एवं मानसिक तनावों को भाव से जानना प्रमाण-ज्ञान है तथा वस्तु के एक अंश यदि दूर करना है और अन्तत: मानव के अस्तित्व को को मुख्य करके जानना नयज्ञान है। वनाये रखना है तो भगवान् महावीर की वाणी को युगीन समस्याओं एवं परिस्थितियों के संदर्भ में व्याख्याविज्ञान की जो अध्ययन-प्रविधि है, जैन-दर्शन में यित करना होगा। यह ऐसी वाणी है जो मानव-मात्र ज्ञानी की वही स्थिति है। जो नय-ज्ञान का आश्रय के लिए समान मानवीय मूल्यों की स्थापना करती है। लेता है वह ज्ञानी है। अनेकान्तात्मक वस्तु के एक-एक सापेक्षवादी सामाजिक संरचनात्मक व्यवस्था का अंश को ग्रहण करके ज्ञानी ज्ञान प्राप्त करता चलता चिन्तन प्रस्तुत करती है; पूर्वाग्रह-रहित उदार दृष्टि से है । एकान्त के आग्रह से मुक्त होने के लिए यही पद्धति एक-दूसरे को समझने और स्वयं को तलाशने-जानने के ठीक है। लिए अनेकान्तवादी जीवन दृष्टि प्रदान करती है। समाज इस प्रकार भगवान महावीर ने जिस जीवन-दर्शन के प्रत्येक सदस्य को समान अधिकार एवं स्व-प्रयत्न को प्रतिपादित किया है, वह आज के मानव की मनो- से विकास करने का साधन जुटाती है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012001
Book TitleTirthankar Mahavira Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Malav
PublisherJivaji Vishwavidyalaya Gwalior
Publication Year
Total Pages448
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size13 MB
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