SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 76
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ क्षेत्र में जो कार्य किए हैं उन्हें कौन भुला सकता है। सक्षिप्त में भगवान महावीर ने ढाई हजार वर्ष श्रीमती कंकूबाई के दातृत्व और नेतृत्व के कारण पहले जो नारी में मुक्ति की घोषणा की थी, वह आज अनेक शैक्षणिक संस्थाएँ और अस्पताल आज समाज फिर से नारी-समाज में गजित हो रही है। हमें उस की सेवा कर रहे हैं। श्रीमती कस्तूरबाई के द्वारा स्वर को सुनने की आवश्यकता है । अभी भी अशिक्षा, स्थापित कस्तुरबाई ट्रस्ट के द्वारा आज अनेक संस्थाएं अंधविश्वास, दहेज आदि कुप्रथाएँ नारी-विकास के मार्ग कार्यरत है। सोलापुर में क्षु. राजुलमतीबाई द्वारा में रुकावटें हैं इन्हें हटाना हमारा कर्तव्य है। उसी स्थापित 'श्राविका सस्था नगर' आज शैक्षणिक धार्मिक प्रकार नारी को भी अपने अतीत के खोए हए गौरव ब सामाजिक कार्य में अग्रसर है। चन्दाबाई के द्वारा और अधिकार को पाने के लिए प्रयत्नशील होना जैन बालाश्रम आरा की स्थापना जैन महिलादर्श का चाहिए । नारी-जागरण के लिए हर सुशिक्षित क्रान्तिसंपादन, अखिल भारतीय महिला परिषद की स्थापना कारी व प्रगतिशील विचार की नारी को आगे आना आदि महत्वपूर्ण कार्य किये गए है। चाहिए। नारीयों ने अधिकारों की मांग तो करनी ही चाहिए परन्तु पाश्चात्य जगत के प्रभाव से फैशन आदि साहित्य निर्माण में भी अनेक जैन महिलाएँ आज के रूप में जो नई कुरीतीयाँ स्त्रियों में आ रही हैं उन्हें महत्वपूर्ण स्थान बना रही है। उदाहरण के लिए साध्वी रोकना भी जरूरी है। नारी-क्रान्ति का अर्थ केवल चन्दनादर्शनाचार्य के द्वारा अनेक ग्रंथों का लेखन और बाह्य वेश-भूषा या उच्छखल विचारों की क्रान्ति नहीं संपादन किया गया है। सौ. सुरेखा शहा के उपन्यास है। प्रधान मंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के शब्दों में प्रसिद्ध मासिकों में प्रकाशित हो रहे है। श्रीमती 'महिला-मुक्ति' भारत के लिए मौज की बस्तु नहीं है । कलंत्रेअक्का, श्रीमती लेखवती जैन (हरियाणा विधान बल्कि एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है। ताकि, राष्ट्र सभा अध्यक्षा) सौ. लीलावती मर्चन्ट, श्रीमती इंदुमती भौतिक, बौद्धिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अधिक सेठ, श्रीमती ओमप्रकाश जैन आदि महिलाएँ राजनैतिक संतोषजनक जीवन की ओर अग्रसर हो सके। क्षेत्र में अग्रसर रही है। इतना ही नहीं औद्योगिक क्षेत्र में भी वे कार्य कर रही है। १ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012001
Book TitleTirthankar Mahavira Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Malav
PublisherJivaji Vishwavidyalaya Gwalior
Publication Year
Total Pages448
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy