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________________ मानव समाज के विकास में स्त्री व पुरुष दोनों को समान स्थान प्राप्त है। स्त्री और पुरुष दोनों होने से एक घटक को अधिक महत्व दिया जाता है तो समाज सर्वागीण उन्नती नहीं कर सकता। इसलिए समाज की निर्मिती ब मानव का विकास और सामाजिक प्रगति के लिए नारी पुरुष के साथ बराबर काम करती रही है। प्राचीन काल में ऋषभनाथ तीर्थकर ने बोया था। उन्होंने गृहस्थावस्था में ब्राम्ही और सुन्दरी इन दोनों कन्याओं को अक्षरविद्या और अध्यात्मविद्या प्रदान की थी। इतना ही नहीं भ. वृषभनाथ से उन दोनों ने आयिकाब्रत की दीक्षा ली थी । चतुर्विध संघ के आर्यिका संघ गणिनी (प्रमुख) आर्यिका व्राम्ही ही थी। दीक्षा ग्रहण करने का अधिकार स्त्रियों को उस काल में प्राप्त होना यह आध्यात्मिक जगत में क्रान्ति ही थी। यह परम्परा आज भी अक्षुण्ण रूप में चली आ रही है। अन्य किसी भी धर्म की अपेक्षा जैन धर्म में नारी को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। इसी धर्म ने पुराने मूल्यों को बदल कर उसके स्थान पर परिष्कृत मूल्यों की स्थापना की है। जैन धर्म की दृष्टी से नर और नारी दोनों समान है । भगवान महावीर ने प्रत्येक जीव की स्वतंत्रता स्वीकार की है। इसलिए ब्रत धारण करने का जितना अधिकार श्रावक को दिया गया है, उतना ही अधिकार श्राविका का बताया है। जैन शास्त्रों में नारी जाति को गृहस्थ जीवन में धम्मसहाया (धर्म सहायिका) धर्म-सहचारिणी, देव गुरुजनसंकाशा इत्यादि शब्दों में जगह जगह प्रशंसित किया है। नारी को समाज में सम्मानीय और आदरणीय माना गया है। राजा अग्रसेन की कन्या राजुलमती नेमिनाथ के दीक्षा ग्रहण करते ही अयिका की दीक्षा ग्रहण कर आत्मकल्याण की और अग्रसर हई । वैशाली भगवान् महावीर और नारी-मुक्ति पद्मश्री पं. सुमतीबाई शहा के चेटक राजा की कन्या चन्द्रासनी ने आजीवन ब्रह्मचर्य ब्रत स्वीकार कर भगवान महावीर से दीक्षा ली। सती चन्दनवाला ने वैवाहिक बंधन में न बंधकर भगवान महावीर से आयिका की दीक्षा ली और साध्वियों की प्रमुख महिलाओं को सामाजिक और आध्यात्मिक क्षेत्र में दिए हुए समान अधिकार का बीज जैन धर्म के अत्यन्त २६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012001
Book TitleTirthankar Mahavira Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Malav
PublisherJivaji Vishwavidyalaya Gwalior
Publication Year
Total Pages448
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size13 MB
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