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________________ परिपूर्णानन्द वर्मा राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त लेखक एवं विचारक, प्रतिष्ठित समाजसेवी, ओजस्वी वक्ता । अनेकों साहित्यिक एव समाजसेवी संस्थाओं से सम्बद्ध | अध्यक्ष, आल इण्डिया क्राइम प्रिवेन्शन सोसायटी । पचास के लगभग पुस्तकें तथा पांच सौ के लगभग लेख व निबन्ध प्रकाशित । अनेकों पुरकृस्त । प्रमुख रचनाएँ-अपराध - अपराधी और अभियुक्त, तीन ऐतिहासिक नाटिकाएँ, ऐसा-वैसा, नारी रत्न, पतन की परिभाषा, प्राणदण्ड, वालरत्न, भारत की विभूतियाँ, मृत्युदण्ड की प्रथा और इतिहास, मेरा प्रणाम, रूप और रुपैया, प्रतीकशास्त्र, मरघट का मुर्दा, आत्महत्या और वासना के अपराध । सम्पर्क – 4 लक्ष्मीरतन बगला, कालपी रोड, कानपुर 12 । डा. वृजवासी लाल एम. ए., पी-एच. डी. । प्रख्यात इतिहासकार एवं पुरातत्व वेत्ता | पूर्व निदेशक- आर्कियोलाजीकल सर्वे आफ इण्डिया, भारत शासन । पूर्व अध्यक्ष - प्राचीन भारतीय इतिहास एवं संस्कृति विभाग, जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर । वर्तमान में, निदेशक - पुरातत्व विभाग, इन्स्टीट्यूट आफ एडवान्स स्टडीज, शिमला | रामायणकालीन स्थलों के उत्खनन के महत्वपूर्ण कार्यों में संलग्न | ऐतिहासिक महत्व के अनेकों स्थलों के उत्खनन का निर्देशन कर भारतीय इतिहास एवं संस्कृति के अनेकों लुप्त पक्ष उजागर किये। अनेकों शोधपत्र एवं निबन्ध प्रकाशित । सम्पर्क - निदेशक, प्राचीन भारतीय इतिहास एवं संस्कृति विभाग, इन्स्टीट्यूट आफ एडवान्स स्टडीज, राष्ट्रपति निवास, समर हिल, शिमला (हिमाचल प्रदेश) 171005 | डा. भागचन्द्र जैन एम. ए. (संस्कृत, पालि; प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति और पुरातत्व), साहित्याचार्य, साहित्य रत्न, पी-एच. डी. ( सीलोन ) । प्रसिद्ध इतिहासज्ञ, जैन साहित्य के प्रखर विद्वान । जन्म - 1 जनवरी 1939 बम्हौरी, छतरपुर (म. प्र. ) अनेक शैक्षणिक व समाजसेवी संस्थाओं से सम्बद्ध व उनमें विभिन्न पदों पर सेवारत । अध्यक्ष - पालि - प्राकृत विभाग एवं प्राध्यापक-पालि-प्राकृत त्रिभाग, न गपुर विश्वविद्यालय, नागपुर। प्रकाशित पुस्तकें - Jains in Buddhist Literature, बौद्ध संस्कृति का इतिहास, चतु शतकम् (संपा. अनु.) पातिलोवख (संपा. अनु.), पालिको संग्रहो (संपादन), जैन धर्म और संस्कृति, भ. महावीर और उनका चिन्तन, जैन संस्कृति का इतिहास, भारतीय संस्कृतीला वौद्ध धर्माचे योगदान ( मराठी ), लगभग अस्सी शोध निबन्ध प्रकाशित । सम्पादन - रत्नत्रय (मासिक) कोल्हापुर । सम्पर्क – न्यू एक्सटेन्शन एरिया, सदर, नागपुर । Jain Education International ४०२ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012001
Book TitleTirthankar Mahavira Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Malav
PublisherJivaji Vishwavidyalaya Gwalior
Publication Year
Total Pages448
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size13 MB
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