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________________ द्वितीय सभा (दिनांक 7 नवम्बर 1975) के अतिथि दिल्ली ने 'वर्तमान युग में भगवान महावीर के उपदेशों वक्ता के रूप में स्याद्वाद महाविद्यालय वाराणसी के की सार्थकता" विषय पर अपने सारगर्भित व्याख्यान प्राचार्य, जैन दर्शन के प्रकाण्ड विद्वान प कैलाशचन्द्र में जैन दर्शन के वैज्ञानिक, व्यावहारिक, तथा समाजजी शास्त्री सिद्धान्ताचार्य ने "भगवान महावीर : जीवन शास्त्रीय पक्ष का सूक्ष्म विवेचन किया। सभापति न्यायमूर्ति और दर्शन" विषय पर अपने विचार प्रकट करते हुए श्री यू. एन. वाच्छावत ने भगवान महावीर के अहिंसा भगवान महावीर के पूर्व भवों की घटनाओं के तारतम्य दर्शन और विश्व शान्ति के सन्दर्भ में उसकी उपयोगिता में जैन दर्शन के विकास की विस्तृत रूपरेखा प्रस्तुत विषय पर विवेचनारमक विचार प्रकट किये। कर ताविक दृष्टि से उसका विवेचन किया तथा उसके महत्व पर प्रकाश डाला । सभापति बिरखा उद्योगों के पंचम एवं अन्तिम सभा ( दिनांक 10 नवम्बर महा प्रबन्धक श्री सरदारसिंहजी चोरडिया ने तीर्थ कर 10 ' 1975) के अतिथि बक्ता जैन साहित्य एवं इतिहास के महावीर और उनके दर्शन के मानवीय पक्ष का विवेचन मूद्धन्य एवं आधकारिक विद्वान श्री अगरचन्द्रजी प्रस्तुत किया। नाहटा, बीकानेर ते "जैन साहित्य' विषय पर अपने शोधपूर्ण एवं सारगभित व्याख्यान में भारतीय साहित्य तृतीय सभा (दिनांक 8 नवम्बर 1975) के अतिथि में जैन साहित्य के स्थान और उसके विकास एवं योगवक्ता श्री कृष्णदत्त वाजपेयी, प्राचार्य एवं अध्यक्ष, प्राचीन दान का सूक्ष्म विवेचन किया। सभा में विशेष रूप से भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग, सागर उपस्थित मुनि श्री चन्दनमलजी ने अपरिग्रह दर्शन विश्वविद्यालय, सागर ने अपने शोधपूर्ण एवं सारगभित की विवेचना की तथा सभापति श्री चन्दनमल वैद, व्याख्यान में "जैन मूर्तिशास्त्र' के दार्शनिक एवं वित्त मंत्री, राजस्थान शासन ने तीर्थकर महावीर और कलात्मक पक्ष की वृहद रूपरेखा प्रस्तुत कर इस सन्दर्भ उनकी सामाजिक क्रान्ति विषय पर अपने विचार में मध्यप्रदेश में जैन मूर्तिकला के योगदान पर भी प्रकट किये। विचार प्रकट किये। सभा के अध्यक्ष प्रसिद्ध साहित्यकार : श्री हरिहर निवास द्विवेदी ने तोमर शासनकाल में व्याख्यानमाला के संयोजक जीवाजी विश्वविद्यालय ज ना माथिका महासभा एवं विद्या परिषद् के सदस्य श्री रवीन्द्र मालव कलाकारों के स्लाइड्स भी प्रदर्शित किये। साथ ही मे अत्यधिक कुशलतापूर्वक सभाओं का संचालन किया, सन्तभित चित्रों के योगदान के सन्दर्भ में शोधपर्ण तथा अतिथियों का परिचय प्रस्तुत किया। उप कुल मचिव श्री घनश्याम गौतम ने विश्वविद्यालय की व्याख्यान दिया। ओर से अतिथियों का स्वागत तथा आभार प्रदर्शन .... चतुर्थ सभा (दिनांक 9 नवम्बर 1975) के अतिथि किया। पाँच दिवस तक आयोजित इन सभाओं में वक्ता राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त साहित्यकार एवं पत्रकार नित्य प्रति लगभग एक हजार की संख्या में श्रोतागण श्री यशपाल जैन, मंत्री, सस्ता साहित्य मण्डल, नई उपस्थित हुए।" ३६० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012001
Book TitleTirthankar Mahavira Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Malav
PublisherJivaji Vishwavidyalaya Gwalior
Publication Year
Total Pages448
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size13 MB
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