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________________ पुस्तकालय, वाचनालय, स्वाध्याय भवन, संग्र पत्रिकायें, परचे, स्मारिकायें आदि का हालय, सभा भवन, बाल क्रीड़ा केन्द्र आदि प्रकाशन । निर्मित करना। (थ) समय-समय पर स्वयं या विभिन्न शैक्षणिक (ग) भगवान महावीर की स्मृति को स्थायी रूप देने समाजसेवी संस्थाओं के सहयोग से भगवान हेतु पाषाण स्तम्भ, शिलालेख, अभिलेख, कीर्ति महावीर एव उनके दर्शन से सम्बन्धित विषयों स्तम्म, आदि का निर्माण करना, जिन पर पर वाद-विवाद, निबन्ध, लेख, कहानी, भगवान महावीर के जीवन से सम्बन्धित चित्रकला पर प्रतियोगितायें आयोजित करना । घटनाओं का अंकन करना आदि । विजयी प्रतियोगियों को पुरस्कृत करना आदि। (घ) पुरातत्व, कला एवं स्थापत्य का सचित्र प्रामा णिक सर्वेक्षण करना तथा शास्त्रों से संकलित (द) भगवान महावीर के धार्मिक सिद्धान्तों एवं उपदेशों, सक्तियों का संग्रह विभिन्न भाषाओं उपदेशों के प्रचार-प्रसार को रचनात्मक एवं में करना। क्रियात्मक रूप देने हेतु उपरोक्त कार्यों से मिलते-जुलते अन्य कार्य करना। (च) भारतीय दर्शन, जैन दर्शन एव प्राचीन भारतीय सरकृति, समाज, कला व स्थापत्य आदि विषयों (प) सभी धर्मों में सहिष्णुता एवं सामंजस्य का पर शोध कार्य करनेवाले छात्रों को पदक, वातावरण निर्माण करना एवं उसके लिये छात्रवृत्ति अथवा शोधवृत्ति प्रदान करना तथा सर्वधर्म-सम्मेलन आदि का आयोजन करना इस प्रकार के अध्ययन को प्रोत्साहित करना । (फ) भगवान महावीर के सिद्धान्तों के अनुरूप (छ) भारतीय संस्कृति में भगवान महावीर एवं जनसाधारण की आध्यात्मिक, सांस्कृतिक, दर्शन का क्या योगदान है इस बाबत अंग्रेजी नैतिक उन्नति के लिये तथा उसकी ज्ञान वृद्धि व भारतीय भाषाओं में अनुवादों, पुस्तिकाएँ के कार्य करना, उनको प्रोत्साहित करना तथा प्रकाशित कर जनसाधारण में वितरण करना। उक्त उद्देश्यों की पूर्ती हेतु संस्थायें स्थापित (ज)विश्वविद्यालय तथा अन्य शिक्षण संस्थाओं करना तथा इन उद्देश्यों के हेतु चल रही अन्य तथा नगर में समय-समय पर विचारगोष्ठियों, संस्थाओं, समितियों तथा संघों की सहायता भाषण मालाओं,सेमीनारों आदि का आयोजन करना। करना जिनमें भगवान महावीर के विशेष न्यास मण्डल हेतु दो प्रकार के सदस्य वर्ग रखे सिद्धान्त, अहिंसा, अपरिग्रह, अनेकांत आदि के गए हैं। प्रथमतः सस्थाएँ एवं संस्थान, जो न्यूनतम सम्बन्ध में विचार-विमर्श करना और जीवाजी ढाई हजार रुपया न्यास को प्रदान करें, तथा द्वितीयतः विश्वविद्यालय में जैनोलॉजी पर रिसर्च व्यक्तिगत सदस्य जो न्यूनतम एक हजार रूपया न्यास अध्ययन हेतु पथक चेयर की स्थापना करना। को प्रदान करें। न्यास को प्रारम्भिक सदस्य के रूप में (त) भगवान महावीर द्वारा प्रतिपादित सिद्धान्तों प्रथम वर्ग के तेईस (23) तथा द्वितीय वर्ग के बासठ तथा उपदेशों के प्रचार-प्रसार हेतु पत्र- (62) सदस्यों की स्वीकृति प्राप्त हुई। न्यास मण्डल Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012001
Book TitleTirthankar Mahavira Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Malav
PublisherJivaji Vishwavidyalaya Gwalior
Publication Year
Total Pages448
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size13 MB
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