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________________ 11 एक पत्थर की बावड़ी पर स्थित गुहा मन्दिर में उत्खनित विशाल जैन प्रतिमाओं के समूह का एक दृष्टि ) इस समूह में लगभग 20 प्रतिमायें 20 से 30 फुट तक की ऊँचाई की और लगभग इतनी ही 8 से 15 फुट तक की ऊँचाई लिये हुये हैं । इसमें आदिनाथ, नेमिनाथ, पद्मप्रभु, चन्द्रप्रभु, संभवनाथ, कुन्तनाथ, और महावीर आदि की मूर्तियाँ हैं । इनमें कुछ एक मूर्तियों पर 1525 से 1530 तक के अभिलेख खुदे हुये हैं । पहुँचे कि ये जैन मूर्तियां हैं। संभवतया यह त्रिशला माता तथा महावीर की मूर्ति है। कला की दृष्टि से इन मूर्तियों का विशेष महत्व नहीं है । ( 3 ) उत्तर पश्चिम समूह :इसमें आदिनाथ की एक महत्त्वपूर्ण मूर्ति बनी है जिस पर सं. 1527 का अभिलेख अकित है। यह विशेष कलात्मक नहीं है । (4) उत्तर पूर्व समूह :- इसमें भी छोटी-छोटी मूर्तियाँ हैं और उन पर भी कोई लेख न होने से एतिहासिक दृष्टि से अधिक महत्व नहीं रखती हैं । कला की दृष्टि से भी उनका कोई विशेष महत्व नहीं है । (5) दक्षिण पूर्व समूह :- इस समूह की मूर्तियाँ कला की दृष्टि से अत्याधिक महत्त्वपूर्ण हैं । ये मूर्तियाँ फूलबाग के दरवाजे से निकलते ही लगभग आधे मील के क्षेत्र में खुदी हुई दिखाई देती हैं । अन्य मूर्तियों की अपेक्षा कुछ बाद में बनने के कारण ये अभ्यस्त हाथों द्वारा निर्मित होने के कारण इनमें अंगों के अनुपात और सौष्ठव में कहीं न्यूनता नहीं दिखाई देती । इनमें कला का रूप निखर उठा 1 Jain Education International इन समूहों में तीर्थ करों के अतिरिक्त अंबिका, यक्ष, यक्षिणी तथा विभिन्न प्रतीक भी उत्कीर्ण किये गए हैं। इनके अतिरिक्त तेली की लाट के पास तथा गूजरी महल संग्रहालय में रखी प्रतिमायें भी अधिकतर इनकी सम कालीन प्रतीत होती हैं। इससे प्रतीत होता है उपरोक्त समूहों के अतिरिक्त अन्य प्रतिमाओं का भी निर्माण हुआ था । ग्रन्थ निर्माण मूर्ति प्रतिष्ठायें : इनके शासनकाल में ही कुशा साह जी जैसवाल वंशज ने गोपाचल पहाड़ी के बाहरी तरफ कुछ गुफाओं में मूर्तियाँ खुदवाई तथा मन्दिर बनवाकर प्रतिष्ठायें ३५० For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012001
Book TitleTirthankar Mahavira Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Malav
PublisherJivaji Vishwavidyalaya Gwalior
Publication Year
Total Pages448
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size13 MB
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