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________________ श्री रवीन्द्र जी जीवाजी विश्वविद्यालय द्वारा “महावीर स्मति ग्रन्थ' का प्रकाशन, भगवान महावीर के जीवन और दर्शन के विविध पक्षों पर रचित, शोधपत्रों व लेखों के माध्यम से, भगवान के उपदेशों को जनसामान्य तक पहुँचाने, और बुद्धिजीवियों को चिन्तन हेतु दिशादर्शन के अपने उद्देश्यों में सफल हो, इस हेतु मेरी हार्दिक शुभकामनाएं। साहू शान्ती प्रसाद जैन श्री रवीन्द्र जी मालव भगवान महावीर के २५०० वें निर्वाण महोत्सव के अवसर पर जीवाजी विश्वविद्यालय "महावीर स्मति ग्रन्थ" प्रकाशित कर रहा है यह जानकर प्रसन्नता हुई । इस अवसर पर मैं हार्दिक शुभ कामनाएं प्रेषित करता हूँ। लालचन्द्र हीराचन्द्र _-संदेश .... SHRIYANS PRASAD "NIRMAL'' 3Rd Floor Nariman Point Bombay-400021 प्रिय श्री रवीन्द्र मालव मुझे यह जानकर अत्यन्त प्रसन्नता हुई कि अहिंसा के सन्देशवाहक, स्याद्वाद सिद्धान्त के प्रणेता भगवान महावीर के २५०० वें निर्वाण महोत्सव के उपलक्ष्य में "महावीर स्मति ग्रन्थ" का प्रकाशन किया जारहा है । यह भी हर्ष का विषय है कि आप इस ग्रन्थ में सामयिक विषयों पर राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त विद्वानों के लेख एवं शोधपत्रों की व्यापक सामग्री का संकलन करेंगे। वस्तुत: यह जीवाजी विश्वविद्यालय का प्रशंसनीय कार्य है । भगवान महावीर विश्व इतिहास के उन महान ज्योति स्तम्मों में से हैं, जिनके बताए 'हए सत्य, अहिंसा और अपरिग्रह के सन्मार्ग पर उन्मुख होकर शान्ति प्राप्त की जा सकती है। भगवान महावीर की सबसे बड़ी शिक्षा है, अपने को जानो, यानि “आत्मा को जानो"। वर्तमान संदर्भ में, भगवान महावीर के सन्देश लोकोपयोगी हैं एवं जन-जन के जीवन में विशेष महत्व रखते हैं। इन सन्देशों के प्रचार-प्रसार द्वारा राष्ट्र की युवा पीढ़ी को अनुशासन, सदाचार तथा राष्ट्रीय एकता को सुदृढ़ बनाये रखने की दिशा में अवश्य प्रेरणा मिलेगी। ग्रन्थ के सुन्दर एवं सफल प्रकाशन के लिये मेरी अनेक मंगल कामनाएं। आपका श्रेयांस प्रसाद जैन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012001
Book TitleTirthankar Mahavira Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Malav
PublisherJivaji Vishwavidyalaya Gwalior
Publication Year
Total Pages448
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size13 MB
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