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________________ संलग्न होते हैं। इससे यौन विकार उत्पन्न होते हैं तथा कारण करोडों व्यक्तियों को जो कषि एवं उनसे सम्बद्ध समाज में अव्यवस्था एवं कलह को प्रोत्साहन मिलता रोजगारों में लगे हैं तथा करोड़ों जीवों को जो दुग्ध है। यह एक सर्वमान्य तथ्य है कि मांसाहार क्रोध एवं उत्पादन या कृषि उत्पादन में लगे हैं, को जीविका यौन इच्छाओं को प्रोत्साहित करता है। ये दोनों ही प्रदान करता है। प्रवत्तियाँ मानव को असामाजिक कार्यों के लिये प्रेरित करती हैं । मांसाहार के लिये निरीह पशुओं का वध वैज्ञानिक दृष्टिकोण किया जाने के कारण मांसाहारियों में प्रेम, दया और मानवीय आहार के सम्बन्ध में अनेकों वैज्ञानिक अहिंसा की भावना लुप्त होती जाती है, इसके कारण अनुसंधान हुए हैं । इन अनुसंधानों से यह तथ्य स्पष्टतः क्र. रता, अदया एवं हिंसा की प्रवृत्ति को प्रोत्साहन रूप से उजागर हुए हैं कि शाकाहारी व्यक्ति अधिक मिलता है । यही नहीं, इसके कारण अनेकों पशु-पक्षियों दीर्घजीवी, सुदृढ एवं स्वस्थ होते हैं जबकि माँसाहार की जातियाँ सर्वथा समाप्त होती जा रही हैं। इस अनेक दोषों का कारक है। अजरवेजान (सोवियत रूस) प्रकार सामाजिक दष्टि से भी शाकाहार अत्यधिक के 168 वर्षीय शिराली मिसालिनोव ने मांसाहार उपयुक्त आहार है, इससे आदर्श समाज की स्थापना में और मदिरा दोनों को ग्रहण न करने को अपने दीर्घ सहायता मिलती है। और चुस्त जीवन का रहस्य बताया है। आर्थिक पक्ष वैज्ञानिक अनुसंधानों के अनुसार स्वस्थ एवं पुष्ट आर्थिक दृष्टि से शाकाहार माँसाहार की तुलना शरीर निर्माण के लिये निम्नलिखित तत्वों की पूर्ति आहार में आवश्यक मानी गयी हैमें सस्ता, सुलभ, सहज एवं प्रचुर होता है। यह रचनात्मक उत्पादन का परिणाम होने से प्राकृतिक है। ।। प्रकृति प्रत्येक समय समयानुकूल अन्न, फल तथा मब्जियां आदि उत्पादन प्रदान करती है। आज मनुष्य पैदा कर शरीर की क्षतिपूर्ति करती है। यह शारीरिक विकास, उत्साह, शक्ति और स्फूर्ति जाति का एक बहुत बड़ा भाग कृषि उत्पादन में लगा है। इनके परिश्रम तथा प्रकृति के आशीर्वाद से प्राकृतिक 2. फैट (चिकनाई)उत्पादनों में जितनी विविधताएँ उपलब्ध हैं, वह यह शरीर में शक्ति और गरमी पैदा करती है। मांसाहार के लिये कल्पना की ही बात है। यही कारण है कि सम्भवतः विश्व में शायद ही कोई मानव ऐसा 3. खनिज लवण - हो जो मात्र मांसाहार पर ही जीवित रहता हो और ये हड्डियों को मजबूत बनाते हैं तथा भोजन प्राकृतिक भोजन अन्न, फल, वनस्पतियों, सब्जियों आदि शक्ति को अच्छा रखते हैं। को ग्रहण करता हो जबकि विश्व में करोड़ों ऐसे लोग हैं जो पूर्णत: शाकाहार पर ही जीवित हैं और किसी 4. कार्बोहाइड्रेट्सभी दष्टि से माँसाहारियों के समक्ष हीन नहीं हैं वरन ये शरीर में शक्ति और गरमी पैदा करते हैं। कई दृष्टियों से उनसे उन्नत हैं। 5. जल (नमी)-- शाकाहार न केवल मूल्य की दृष्टि से सस्ता तथा यह शरीर की सफाई कर गन्दे पवार्थों यथा. उपलब्धता की दृष्टि से सहज व सुलभ ही है वरन् इसके पसीना, मल-मूत्र आदि, को शरीर के बाहर निकालने २६४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org,
SR No.012001
Book TitleTirthankar Mahavira Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Malav
PublisherJivaji Vishwavidyalaya Gwalior
Publication Year
Total Pages448
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size13 MB
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