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________________ जैन साहित्य एवं संस्कृति के विकास में भट्टारकों का योगदान भगवान महावीर के पश्चात् होनेवाले अधिकांश आचार्यों ने साहित्य निर्माण में विशेष रुचि ली और उसके प्रचार-प्रसार के लिए अथक परिश्रम किया । प्राकृत भाषा के साथ-साथ उन्होंने संस्कृत, अपभ्रंश एवं प्रादेशिक भाषाओं को भी प्रश्रय दिया और जन-साधारण की रुचि के अनुसार विविध विषयों में विशाल साहित्य का सर्जन किया । ऐसे आचार्यों में आचार्य कुन्दकुन्द (प्रथम शताब्दी), उमा स्वामी (तृतीय शताब्दी) समन्तभद्र (तृतीय- चतुर्थ शताब्दी), सिद्धसेन (पंचम शताब्दी), देवनन्दि, पात्रकेसरी, अकलंक (सातवीं शताब्दी), वीर सेन ( आठवीं शताब्दी) विद्यानन्दि माणिक्य नन्दि, जिनसेन, गुणभद्र, नेमिचन्द्र सिद्धान्त चक्रवती, अमृत चन्द्र, देवसेन, पद्मनन्दि आदि के नाम उल्लेखनीय हैं। ये सभी आचार्य अपने-अपने समय के अत्यधिक ओजस्वी एवं सशक्त विद्वान थे । लेकिन जब देश की राजनैतिक एकता समाप्त होने लगी और सम्राट हर्षवर्धन के बाद जब कोई भी शासक देश को एकता के सूत्र में बाँधने में असमर्थ Jain Education International डा० कस्तूरचन्द कासलीवाल रहा तब देश में एकता के स्थान पर अनेकता ने सिर उठाया । चारों ओर अशान्ति का वातावरण छाने लगा । 11वीं शताब्दी के प्रारम्भ से ही भारत पर मुसलमानों के आक्रमण होने लगे और 13वीं शताब्दी के आते-आते वहाँ मुसलमानों का हमेशा के लिये शासन स्थापित हो गया । देश में आतंक का साम्राज्य छा गया । मुसलमानों के भयपूर्ण शासन में अहिंसकों का जीना दूभर हो गया । नग्न साधुओं का विहार और । भी कठिन हो गया मन्दिरों को लूटना, मूर्तियों को तोड़ना एवं स्त्री-पुरुषों तथा बच्चों को मौत के घाट उतारना साधारण-सी बात हो गयी । ऐसे समय में बादशाह अलाउद्दीन खिलजी के शासनकाल में नन्दि संघ के भट्टारक प्रभाचंन्द्र ने दिल्ली में अपना केन्द्र स्थापित किया और इस प्रकार सारे उत्तर भारत में भट्टारक परम्परा को नव स्वरूप प्रदान किया । के भट्टारक प्रभा चन्द्र ( संवत् 1314 से 1408) पश्चात् सारे देश में भट्टारकों ने शनैः शनैः लोकप्रियता प्राप्त की और एक के पश्चात् एक दूसरे प्रान्तों - २३१ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012001
Book TitleTirthankar Mahavira Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Malav
PublisherJivaji Vishwavidyalaya Gwalior
Publication Year
Total Pages448
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size13 MB
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