SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 49
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रथमप्रकाश देशो तेमणे वेहेची थाप्या..पडी प्रजुए संवत्सरी दान दश्ने लोकोने एवा तो तृप्त कर्या के, जेथी "तुं मने दे" एवं दीन वाक्य कोश्ना मुखथी निकट्युंज नहीं. पडी श्रासन कंपवाथी सघला सोए श्रावीने, वादला जेम पर्वतनो, तेम प्रजुनो तेर्लए अनिषेक कर्यो. (ते वखते) इंडोए पहेरावेली माला तथा अंगविलेपनयी प्रजु जाणे पोताना यशना ढगला उथी विटाएला होय नहीं तेम शोचता हता. वली विचित्र वस्त्रोथी तथा रत्नोनां आजूषणोथी नूषित थएला प्रजु, संध्याकालनां वादलां तथा तारा उथी शोजता आकाशसरखा देखाता हता, वली ईसें, पोताना श्रात्मामां नहीं माता(अने तेथी उत्तराई जता)आनंदनेज जाणेजगत्प्रत्ये आपतोहोय नहीं, एवो आकाशमां दुनिनाद वगडाव्यो. पनी प्रजु जगत्ने जाणे उर्वलोकनो मार्ग देखाडता होय नहीं, तेम, देव, दानव तथा माणसोए उपाडेली पालखीपर बेग. एवी रीतें देवोए तथा इंशोए पण प्र. जुना निकलवानो महोत्सव कों, तथा तेने जोश्ने पोतानी आंखोनुं अनिमेषपणुं तेर्जए कृतार्थ कयुं. पडी प्रजुए सिद्धार्थक उद्यानमां जई, कषायोनेज जाणे होय नहीं, तेम कुसुम तथा बाजरण आदिक तजी दीधां. तथा चार मूवीथी प्रजुए केशोने उखेडी नाख्या, तथा पांचमी मूवीथी (बाकीना) केशो ज्यारे उखेडवा लाग्या, त्यारे झें विनति करी के, हे देव, सोनासरखी कांतिवाला आपना खजापर लटकती श्रा केशनी श्रेणि घणीज शोने , माटे ते जले रही ? त्यारे प्रजुये पण तेमज कयु, पनी प्रजुना केशोने पोताना उपटाना बेडामां लेता सुधर्मेननी कांति अत्यंत दीपवा लागी. पडी ते सुमझें, क्षीरसमुखमा ते केशोने पधरावी, आव्या बाद; नाटकाचार्यनी पेठे लोकोना घोंघाटने सुष्टिसंझाथी अटकावी कडं के, “ सर्व सावद्यनां मारे पञ्चरकाण " एवी रीतना उत्कष्ट चारित्र के जे मोक्षमार्गना रथरूप डे ते प्रत्ये प्रजु आरूढ थया. पडी त्यां प्रजुने सघला प्राणीउँना मन अव्यने देखाडतुं चोडुं मनःपर्यय ज्ञान उत्पन्न थयु. पड़ी ते प्रजुनी पगडी चालता चार हजार राजाए पण दीदा लीधी, कारण के, कुलीनोनो श्रा नियम (धारो) बे. पनी सघला इंस्रो पोत पोताने स्थानकें गया बाद, प्रजु पण, हाथी सहित जेम यूथपति तेम, ते सहित विहार करवा लाग्या. ए
SR No.011619
Book TitleYogshastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1899
Total Pages493
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size25 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy