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________________ पंचमप्रकाश. ३एए अर्थ:- जो सात दिवस वहे, तो एक हजारने श्राप दिवस जीवे श्रने श्राप दिवस सुधि वहे, तो नवसोने त्रीश दिवस जीवे. तथा, एकत्रैव नवादानि, तथा वदति मारुते॥ अह्नामष्टशती जीवे, चत्वारिंशदिनाधिकां॥ ए४॥ . अर्थः- वली तेवी रीते एकज नाडीमां जो नव दिवसोसुधि वायु वहे, तो श्रावसोने चालीश दिवसोसुधि जीवी शके. तथा, तथैव वायौ प्रवद, त्येकत्र दश वासरान् ॥ . विंशत्यधिकामह्नां, जीवेत्सप्तशती ध्रुवं ॥ ए॥ अर्थः- तेवीज रीते वली जो दश दिवसो सुधि एकज नाडीमा वायु वहे, तो सातसो ने वीश दिवस जीवे. एकद्वित्रिचतुः पंच, चतुर्विशत्यदःक्षयात् ॥ एकादशादिपंचादा, न्यत्र शोध्यानि तद्यथा ॥ ए॥ अर्थः- वली श्रग्यार श्रादिक दिवसोने पण, नीचे प्रमाणे, एक, बे, त्रण चार अने पांच एवी चोवीशीयुक्त दिवसोना क्षयश्री शोधवा. एकादशदिनान्यर्क, नाड्यां वदति मारुते॥ षणवत्यधिकान्यहां षट्शतान्यव जीवति ॥ ए॥ श्रर्थः- सूर्य नाडीमां जो अग्यार दिवसो सुधि वायु वहे, तो बसोने बनु दिवस जीवे. तथैव चादशाहानि, वायौ वदति जीवति ॥ दिनानां षट्शतीमष्ट, चत्वारिंशत्समन्वितां॥एG॥' अर्थः- तेवीज रीतें जो बार दिवसो सुधि वायु वहे, तो बसोने श्रडतालीश दिवसोसुधि जीवी शके. तथा,. त्रयोदशदिनान्यर्क, नाडीवादिनि मारुते॥ जीवेत्पंचशतीमहां, षट्सप्ततिदिनाधिकां ॥ एए॥ अर्थः- वली जो सूर्यनाडीमां तेर दिवसो सुधि वायु वहे, तो पांचसो ने बतेर दिवसो जीवे. तथा, .।
SR No.011619
Book TitleYogshastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1899
Total Pages493
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size25 MB
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